नमस्कार दोस्तों , मैं मोहट सिंह हूँ । मैं आप सभी का मोबाइल वाणी अंबेडकर नगर न्यूज में स्वागत करता हूं । हां , दोस्तों , आज मैं फिर से आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूं जिसका शीर्षक है मूर्ख बुलबुले और कई साल पहले की नेवले की कहानी । बात यह है कि एक जंगल में एक बरगद का पेड़ था , उस बरगद के पेड़ पर एक बरूला रहता था , और उस पेड़ के नीचे एक गड्ढे में एक सांप रहता था । वह गरीब बगुला इस बात से बहुत परेशान था कि वह बगुला के छोटे बच्चों को खाता था । एक दिन सांप की हरकतों से परेशान होकर बगुला नदी के किनारे चला गया और बैठ गया । अचानक उनकी आँखों में आँसू आ गए । बाबुला को रोते देख नदी से एक केकड़ा निकला और बोला , " अरे बाबुला भैया , क्या बात है , यहाँ बैठे आँसू क्यों बहा रहे हो ? मैं परेशान हूँ कि वह मेरे बच्चों को बार - बार खाता है । चाहे मैं कितना भी ऊँचा घोंसला बनाऊं , वह चढ़ जाता है । अब उनके लिए खाना - पानी के लिए घर से कहीं भी जाना मुश्किल हो गया है । बाहुले की बातें सुनकर केकड़े ने सोचा कि बाहुला भी अपना पेट भरने के लिए अपने परिवार के दोस्तों को खाता है , क्यों न कुछ उपाय किया जाए ताकि सांप के साथ बहुले का खेल भी खत्म हो जाए । तभी उसने एक उपाय सोचा , उसने बाबुला से कहा , एक काम करो बाबुला भैया , अपने पेड़ से कुछ ही दूरी पर नेवले का बिल है , जब नेवले मांस खाते हैं तो आप सांप के बिल से मांस के टुकड़े नेवले के बिल में फैलाते हैं । अगर वह सांप के बिल पर आता है , तो वह सांप को भी मार देगा । बाबुल ने यह समाधान ढूंढ लिया और ठीक वही किया जो केकड़े ने कहा था , लेकिन जब नेवला पेड़ पर आया तो उसे मांस के टुकड़े खाने के परिणाम भी झेलने पड़े । इसलिए उसने सांप के साथ - साथ बहुले को भी अपना शिकार बना लिया है , इसलिए दोस्तों , हमें इस कहानी से सबक मिलता है कि किसी को भी किसी भी बात पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए और इसके परिणामों के बारे में भी सोचना चाहिए ।