नमस्कार , मैं बहुत पहले की एक चूहे और साधु की श्रीवास्तव अंबेडकर नगर मोबाइल वानी में आप सभी के लिए एक छोटी और प्यारी मज़ेदार कहानी लेकर आया हूँ । जब भी वे मंदिर जाते थे तो ग्रामीण भी साधु को कुछ न कुछ दान करते थे , इसलिए साधु के लिए भोजन और कपड़ों की कोई कमी नहीं थी । जन करने के बाद साधु बचे हुए भोजन को बोरे में रख कर छतरी में लटका देते थे , ऐसा समय आसानी से निकलने लगता था , लेकिन अब बोरे में भोजन रखने वाले साधु के साथ एक अजीब घटना होने लगी थी । साधु परेशान हो गए और उन्होंने इस बारे में जानने का फैसला किया । वह रात में दरवाजे के पीछे छिप गया और देखा कि एक छोटा चूहा उसका खाना ले जा रहा है । अगले दिन , उन्होंने चिक्का को ऊपर रख दिया । ताकि चूहा उसके पास न पहुंच सके , लेकिन यह उपाय भी काम आया , इसलिए उसने देखा कि चूहा चिल्लाने वाले पर चढ़ जाता था और भोजन निकाल लेता था , अब साधु चूहे से बहुत परेशान था । एक दिन एक बिच्छू मंदिर में आया और साधु से उसकी परेशानी का कारण पूछा । साधु ने बिच्छू को पूरी कहानी सुनाई । बिच्छू ने साधु से कहा कि उसे पहले यह पता लगाना चाहिए कि चूहे को इतनी ऊँची छलांग लगाने की ताकत कहां से मिली । उस रात बिच्छू और साधु दोनों एक साथ पता लगाना चाहते थे । चूहा खाना कहाँ ले जाता है दोनों ने चुपके से चूहे का पीछा किया और देखा कि मंदिर के पीछे के चूहे ने एक नोट बनाया था । चूहे के जाने के बाद , उन्होंने बिल खोदा और देखा कि चूहे के बिल में बहुत सारा खाना - पीना था । वहाँ एक बड़ा जलाशय है , तो मिचक ने कहा कि यही कारण है कि चूहे में इतनी ऊँची चढ़ाई करने की क्षमता है , उन्होंने उस संग्रह को बाहर निकाला और इसे गरीबों में वितरित किया । जब चूहा वापस आया तो उसने देखा कि सब कुछ खाली था और उसने अपना आत्मविश्वास खो दिया । उसने सोचा कि वह फिर से खाना इकट्ठा कर लेगा । वह टीके के पास कूद गया , लेकिन आत्मविश्वास की कमी के कारण वह नहीं पहुंच सका और साधु ने उसे वहाँ से भगा दिया , इसलिए दोस्तों , यह कहानी हमें सिखाती है कि संसाधनों की कमी से आत्मविश्वास की कमी हो जाती है ।