जहानाबाद मे पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को24फरवरी को आगम हैं

CRISIL के अनुसार 2022-23 में किसान को MSP देने में सरकार पर ₹21,000 करोड़ का अतिरिक्त भार आता, जो कुल बजट का मात्र 0.4% है। जिस देश में ₹14 लाख करोड़ के बैंक लोन माफ कर दिए गए हों, ₹1.8 लाख करोड़ कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? आप इस पर क्या सोचते है ? इस मसले को सुनने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

देश के किसान एक बार फिर नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले साल नवंबर 2020 में किसानों ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के रद्द करने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था और इसके बाद अगले साल 19 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए थे, हालांकि इस दौरान करीब सात सौ किसानों की मौत हो चुकी थी। उस समय सरकार ने किसानों की कुछ मांगों पर विचार करने और उन्हें जल्दी पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन ऐसा अब तक नहीं हआ है। और यही वजह है कि किसान एक बार फिर नाराज़ हैं।

साथियों गर्मी का मौसम आने वाला है और इसके साथ आएगी पानी की समस्या। आज की कड़ी में हम आपको बता रहे है कि बरसात के पानी को कैसे संरक्षित कर भूजल को बढ़ाने में हम अपना योगदान दे सकते है। आप हमें बताइए गर्मियों में आप पानी की कौन से दिक्कतों से जूझते हैं... एवं आपके क्षेत्र में भूजल कि क्या स्थिति है....

शहर के विशाल जूलूस मे भाग लिए घोषो बिधायक रामवलि सिंह यादव साथ में निवासी शमां

घरेलू हिंसा सभ्य समाज का एक कड़वा सच है।आज भले ही महिला आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े कुछ भी हो जबकि वास्तविकता में महिलाओं पर होने वाली घरेलु हिंसा की संख्या कई गुना अधिक है। अगर कुछ महिलाएँ आवाज़़ उठाती भी हैं तो कई बार पुलिस ऐसे मामलों को पंजीकृत करने में टालमटोल करती है क्योंकि पुलिस को भी लगता है कि पति द्वारा कभी गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देना या पिता और भाई द्वारा घर की महिलाओं को नियंत्रित करना एक सामान्य सी बात है। और घर टूटने की वजह से और समाज के डर से बहुत सारी महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकायत दर्ज नहीं करतीं। उन्हें ऐसा करने के लिए जो सपोर्ट सिस्टम चाहिए वह हमारी सरकार और हमारी न्याय व्यवस्था अभी तक बना नहीं पाई है।बाकि वो बात अलग है कि हम महिलाओं को पूजते ही आए है और उन्हें महान बनाने का पाठ दूसरों को सुनाते आ रहे है। आप हमें बताएं कि *-----महिलाओं के साथ वाली घरेलू हिंसा का मूल कारण क्या है ? *-----घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें अपने स्तर पर क्या करना चाहिए? *-----और आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा होती देखी तो क्या किया?

सरकार को भारत रत्न देने के अलावा किसानों को उनके अधिकार भी देने चाहिए , आखिर उनकी मांग भी तो बहुत छोटी सी है कि उन्हें उनकी फसलों का बेहतर मूल्य मिले। हालांकि किसानों की इस मांग का आधार भी एम एस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें हैं जो उन्होंने आज से करीब चार दशक पहले दी थीं। इन चार दशकों में न जाने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने का वादा करके न जाने कितनी सरकारें आईं और गईं, इनमें वर्तमान सरकार भी है जिसने 2014 के चुनाव में इन सिफारिशों को लागू करने का वादा प्रमुखता से किया था। -------दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, क्या आपको भी लगता है कि किसानों की मांगो को पूरा करने की बजाए भारत रत्न देकर किसानों को उनके अधिकार दिलाए जा सकते हैं? --------या फिर यह भी किसानों को उनके अधिकारों को वंचित कर उनके वोट हासिल करने का प्रयास है.

आप सभी ने बूथ कैप्चरिंग के बारे में तो सुना ही होगा, हो सकता है किसी ने देखा भी हो। मोटा-मोटी कहा जाए तो हर कोई जानता है कि बूथ कैप्चरिंग क्या होती है और कैसे होती है। इसको और बेहतर तरीके से समझना हो तो इस तरह से भी देखा जा सकता है कि भारत में होने वाले सभी प्रकार के चुनावों में पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव में सुरक्षा बल एक अनिवार्य जरूरत हैं। सुरक्षा बलों के बिना निष्पक्ष चुनावों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पिछले 75 सालों में इस एक मसले पर कुछ भी नहीं बदला है। यह हाल तब है जब पुलिस, प्रशासन और सुरक्षा बलों को देख कर डरने की प्रवत्ति आम है। ऐसे में कहना कि चुनाव निष्पक्ष होते हैं एक क्रुर मजाक से ज्यादा कुछ नहीं।

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“एक राष्ट्र एक चुनाव” का विचार भले ही बहुत अच्छा है, इसके समर्थन में दिए जाने वाले तर्क की देश के विकास को गति मिलेगी, राजनीतिक दल हमेशा राजनीतिक के मूड में नहीं रह पाएंगे और कि इससे देश का पैसा बचेगा, विचार के लिहाज से बहुत अच्छा है। इन सब बातों को देखते हुए इसको स्वीकार किया जाना चाहिए, लेकिन मूल सवाल अब भी बना हुआ है कि केंद्र की सत्ता पर काबिज बड़े राजनीतिक दल अपने विस्तार की लालसा को रोक कर राज्यों की सरकारों को उनका काम करने देंगे, भले ही वह उनकी विचारधारा और पार्टी की सरकार न हो?