टीबी बीमारी को क्षयरोग के नाम से भी जाना जाता है. हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है। टीबी एक गंभीर बीमारी है जिसे लेकर आज भी लोगों के बीच कई सारी अफवाह फैली हुई हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन इस दिन दुनिया भर में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है ताकि लोग इसके प्रति जागरूक हो। हर साल विश्व क्षयरोग दिवस एक निर्धारित थीम के तहत मनाया जाता है। अभी 2024 की थीम यस! वी कैन एंड टीबी! इस थीम का उद्देश्य है टीबी उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ाना। मरीज़ों और उनके परिवारों को प्रेरणा देना की टीबी का जड़ से उपचार संभव है और वह हार न मानें। टीबी का खात्मा हम सब मिलकर कर सकते हैं। इसलिए हमें इससे बचने के लिए विभिन्न उपाय करने चाहिए जैसे टीकाकरण संतुलित आहार लेना और एक्टिव लाइफस्टाइल को शामिल करना चाहिए ।खांसते और छींकते समय चेहरे को साफ नैपकिन या रुमाल से कवर करना और इस्तेमाल के बाद इन चीजों को कूड़े में डाल देने की आदत अपनाने चाहिए ।तो दोस्तों हमें अपनों और खुद का ख्याल रखना है और टीबी से बचाव के उपाय को अपनाना है तभी तो हम टीबी को हराएंगे और देश को जिताएंगे।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है।सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

सिवान जिला दरौदा प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर महिलाओं का स्वास्थ्य से संबंधित जांच की गई है स्वास्थ्य संबंधित जांच में एचआईवी ब्लड प्रेशर शुगर कोरोनावायरस सहित अन्य की गई इस संबंध में बताया गया की प्रखंड क्षेत्र की अलग-अलग गांव से लगभग दो दर्जन की कड़ी में महिलाएं आई हुई थी जिनका स्वास्थ्य संबंधित जांच की गई

बिहार के सिवान जिला से सदर की रिपोर्ट: मौसम में आए अचानक बदलाव के कारण सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ प्राइवेट क्लीनिक में भी रोगियों की स्पीड देखी जा रही।

सिवान जिला के रघुनाथपुर प्रखंड क्षेत्र में फलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के आज अंतिम दिन स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा डोर टू डोर जाकर दवा खिलाई गई प्रखंड क्षेत्र में फलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम कई दिनों से चल रहा है जहां स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा दो वर्ष से अधिक लोगों को फलेरिया की दवा खिलाई गई

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

बिहार के सिवान जिला से दरौदा की रिपोर्ट: प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जी से लेकर 5 वर्ष के बच्चों को बीसीजी खेसरा विटामिन ए सहित अन्य रोग प्रतिरोधक क्षमता की टिका दी गई इस संबंध में स्वास्थ्य कर्मियों का कहना था कि प्रखंड क्षेत्र के अलग-अलग गांव से लगभग दो दर्जन की करीब में महिलाएं बच्चों को लेकर आई हुई थी जहां पर बच्चों को बीसीजी खेसरा विटामिन ए सहित अन्य रोग प्रतिरोधक क्षमता की टिका दी गई

बिहार के सिवान जिला से दरौदा की रिपोर्ट: प्रखंड क्षेत्र में फलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम चल रहा है चल रहे इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य कर्मियों डोर-टू-डोर जाकर द्वारा की दवा खिलाई जा रही है वही इस समय में बताया गया कि दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को फलेरिया की दवा खिलाई जा रही है

जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में 'बचपन मनाओ-बढ़ते जाओ' कार्यक्रम सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नंबर 3.