दरौली पुस्तकालय भवन गंजेड़ियों एवं नशेड़ियों का अड्डा बना है। ना प्रशासन ना जनप्रतिनिधियों का इस पर ध्यान रहता है। आए दिन दिवारो के ध्वस्त होने से भवन विलुप्त होने के कगार पर है। कई सालों से इस भवन के आसपास तथा भवन में स्थानीय दबंगों द्वारा अतिक्रमण भी कर लिया गया है बावजूद अधिकारी पुस्तकालय को अतिक्रमण मुक्त नहीं करा पाते।जिससे लोग वहां अतिक्रमण कर अपना दुकान चलाते हैं और लाइब्रेरी को अपना घर बना लिए हैं जब कि लाइब्रेरी सरकारी भवन है। इस प्रकार से विभाग का इस पर ध्यान नहीं होने के कारण यह विलुप्त होते जा रहा है अगर ऐसे ही प्रशासन और जनप्रतिदिन ध्यान नही दिए तो एक दिन दरौली बाजार का लाइब्रेरी खंडहर बनकर रह जाएगा।