उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला के हजूरपुर प्रखंड से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कृष्णनाथ से साक्षात्कार लिया। कृष्णनाथ ने बताया कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए। सरकार ने कई योजनाएं महिलाओं के लिए लागू किया है। शिक्षित महिलाएं उन योजनाओं का लाभ ले रही हैं। मगर अशिक्षित महिलाएं जानकारी के अभाव में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाती हैं। महंगाई में महिला पुरुष दोनों को काम करना चाहिए

कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में आर्थिक समानता में महिलाओं की संख्या 58 फीसदी है। लेकिन पुरुषों के बराबर आने में उन्हें अभी सदियां लग जाएंगी। 156 देशों में हुए इस अध्ययन में महिला आर्थिक असमानता में भारत का स्थान 151 है। यानी महिलाओं को आर्थिक आजादी और अचल संपत्ति का हक देने के मामले में एक तरह से हम दुनिया में सबसे नीचे आते हैं। दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के जीवन का बड़ा समय इन अधिकारों को हासिल करने में जाता है, अगर यह उन्हें सहजता से मिल जाए तो उनका जीवन किस तरह आसान हो सकता है? *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों तक पहुंच में सुधार के लिए कौन- कौन से संसाधन और सहायता की आवश्यकता हैं?

रोजगार और श्रम के मसले पर भी महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, और इसके पीछे का कारण भी वही हैं जो उन्हें अवसरों का समानता, स्वतंत्र निर्णय लेने में होने वाली परेशानियां है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत में महिलाओं का 81.8 प्रतिशत रोजगार अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में केंद्रित है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के ही अनुसार, औसतन भारतीय महिलाओं को पुरुषों की आय का 21% भुगतान किया जाता था। इस सबके पीछे का कारण यह है कि महिलाओं को उनके परिवार में ही हक और बराबरी के बारे न बताया जाता है और न सिखाया जाता है, जिसके चलते महिलाओं के पास विकल्प कम होते जाते हैं, और वह जो मिल रहा है रख लो वाली सोच की आदि हो जाती हैं, जोकि उनकी क्षमताओं के साथ अन्याय है। *----- दोस्तों महिलाओं के हक, अधिकार और समानता के मसले पर आपका क्या सोचते हैं ? *----- क्या आपको भी लगता है कि महिलाओं को पिता की संपत्ती में अधिकार के साथ उनके साथ समानता का व्यवहार किये जाने की आवश्यकता है? या फिर आप कुछ इससे अलग भी सोचते हैं,

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कमलेश से साक्षात्कार लिया। कमलेश ने बताया कि सरकार महिलाओं की मदद कर रही है। समाज में महिलायें सुरक्षित नहीं है उनके साथ अत्याचार हो रहा है। वर्त्तमान सरकार के वजह से महिलाओं के स्तिथि में बहुत सुधार हुआ है

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कविता से साक्षात्कार लिया।कविता ने बताया कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना बहुत जरुरी है। देश की अधिकांश औरतों के पास रोजगार नही है। इसलिए लोग उनको पिछड़ा मानते हैं। साथ ही पुरुषों के समान औरतों का सम्मान नही होता है। भूमि अधिकार मिलने से महिला रोजगार कर पाएंगी और अपना जीवन अच्छे तरीके से जी पाएंगी

भूमि का मालिकाना हक़ महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में सहायता करता है। वे खेती कर सकती हैं, फसल उगा सकती हैं और बेच सकती हैं, या जमीन को पट्टे पर देकर आय प्राप्त कर सकती हैं। इससे उन्हें अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने और वित्तीय सुरक्षा हासिल करने में मदद मिलती है।भूमि पर अधिकार होने से महिलाओं को अपने जीवन और भविष्य के फैसले लेने की शक्ति मिलती है। वे यह तय कर सकती हैं कि जमीन का इस्तेमाल कैसे किया जाए, क्या फसल उगाई जाए और आय का कैसे प्रबंधन किया जाए। इससे उनका सामाजिक दायरा बढ़ता है और परिवार में उनकी स्थिति मजबूत होती है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को खत्म करने के लिए, जागरूकता बढ़ाने और सामाजिक रीति-रिवाजों में बदलाव लाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने में पुरुषों और लड़कों की भूमिका क्या होनी चाहिए ? *----- महिलाओं के लिए सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने में मीडिया और नागरिक समाज क्या भूमिका आप देखते हैं?

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमारे समाज की महिलाएं अपनी भूमि में जागरूकता, अपनी आवाज और भूमि अधिकारों के लिए अदालत में लड़ती रहती हैं। वह जिन स्थानों पर जाती है, उसके बावजूद उनका काम नहीं होता और उन्हें दर दर की ठोकरे खानी पड़ती हैं। क्योंकि वहाँ जाने के बाद भी, इतने पैसे की मांग होती है कि वह चुपचाप बैठ जाती हैं और तनाव में अपनी जान गंवा देती हैं। हमारे समाज की कुछ घरों के अंदर महिलाएं दिन भर काम करती हैं, शाम को उनके पास खाने के लिए खाना नहीं होता है और वे लड़खड़ाती रहती हैं, इसके बावजूद कहीं उनकी आवाज नहीं आती है और वे तनाव में अपनी जान गंवा देती हैं। हमारे समाज में अत्याचार होने के बावजूद महिलाएं अपनी इज्जत बचा कर घर के अंदर रहती हैं। कुछ घरों में महिलाएं दिन भर काम करती हैं लेकिन शाम में उनके पास भोजन नहीं रहता है। इसलिए हमारे समाज में कानून इतना सख्त हो गया है कि महिलाओं को रोजगार या कोई व्यवसाय प्राप्त करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमारे समाज में महिलाएं मारी पीटी जाती हैं लेकिन उनका कोई सुनवाई नहीं होता है। वह डर से आत्महत्या कर लेती है कोई तो नहर और गड्ढे में कूद जाती है और अपना जीवन समाप्त कर लेती हैं । इसके बाद भी अत्याचार करने वाले को कोई सजा नहीं मिलता है। अगर सजा भी होता है तो पैसे देकर वे छूट जाते हैं। इसलिए सख्त से सख्त कानून बनायी जाए जिससे हमारे समाज की महिलाओं की रक्षा हो सके. हमारे समाज में शिक्षित महिलाएं घर के अंदर बैठकर अपना व्यवसाय कर रही हैं लेकिन अपनी आवाज नहीं उठा रही हैं.

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमारे समाज में महिलाएं शिक्षित हैं लेकिन पैसों की कमी के कारण घर पर बैठी हुई हैं ,बाहर इंटरव्यू में जाती हैं जिसमे उन्हें बहुत पैसा लगता है जिसके कारण रोजगार नहीं मिल पाता। घर पर महिलाओं के साथ झगड़ा होता है और पारिवारिक तनाव के कारण महिलाएं जान दे देती हैं। पढ़ी लिखी महिलायें घर पर बैठी हैं पूंजी की कमी के कारण वे व्यवसाय नहीं कर पाती हैं।