उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बच्चों को हमें शिष्टाचार कैसे सिखाना चाहिए, खासकर जब वे मेज़ पर खाना खाते हैं। समझाएँ कि उन्हें हमेशा पीठ सीधी रखते हुए मेज़ पर कैसे बैठना चाहिए। समझाएँ कि अपने पैरों को कैसे न हिलाया जाए या अपने हाथों को दूसरे व्यक्ति के स्थान पर कैसे न रखा जाए। हमेशा मेज पर अपनी बारी का इंतजार करें। हाथापाई न करें। हमेशा धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतजार करें। बच्चों को बर्तनों का सही तरीके से उपयोग करना सिखाएं। बच्चों को हमेशा खाने की मेज पर हाथ धोने और खाने के लिए बैठने के बाद खाने के लिए कहें। सुनिश्चित करें कि अपनी गोद में एक नैपकिन रखें ताकि कपड़े गंदे न हों। बच्चों को बताएं कि अगर हर कोई खाने के लिए बैठता है, तो सभी के खाना शुरू करने के बाद ही खाएँ और खाने के बाद उठें। बच्चों को मुँह बंद करके खाना चबाना सिखाएँ। इसके अलावा, बच्चों से कहें कि वे अपना मुँह भरकर न खाएँ, उन्हें छोटे-छोटे निगल के साथ खाने के लिए कहें, उन्हें भोजन की आलोचना न करने के लिए कहें, और उन्हें कहें कि वे मुँह न फैलाएँ या भोजन के साथ न खेलें। उन्हें सभी के साथ बैठने और खाने के लिए कहें, उन्हें सिखाएं कि बच्चों को वयस्कों के बीच बात नहीं करनी चाहिए और उनकी बारी आने पर ही कुछ कहना चाहिए। बच्चों के बैठने से पहले और उठने के बाद हमेशा कुर्सी रखें।
खुद का खेल बनाना बच्चों को सीखने में मदद करता है, इससे उनका दिमाग तेज़ होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है | खेल में माता पिता का साथ बच्चों और उनके बीच के रिश्ते को और गहरा करता है | क्या आप अपने बच्चों के साथ उनके द्वारा बनाया गया कोई खेल खेलते है ?
खुद का खेल बनाना बच्चों को सीखने में मदद करता है, इससे उनका दिमाग तेज़ होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है | खेल में माता पिता का साथ बच्चों और उनके बीच के रिश्ते को और गहरा करता है | क्या आप अपने बच्चों के साथ उनके द्वारा बनाया गया कोई खेल खेलते है ?
दोस्तों बच्चों के लिए काम करने वाली अंतराष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ ने हर साल 11 जून को बच्चों के खेल का ख़ास दिन घोषित किया है। यानि ऐसा दिन जो सभी को याद दिलाये कि बच्चों के साथ बच्चे बन जाना कितना प्यारा है। बच्चों को जन्म से ही खेल खेल में सिखाना कितना प्यारा है। सिखाना भी बड़ों के तरीके से नहीं ,ऐसा खेल जिसमें बड़ों की नहीं हमारे नन्हें मुन्हें ,प्यारे -प्यारे बच्चों की मर्ज़ी चले। क्योकि इससे बच्चे तेज़ी से खुद सीखते हैं। आने वाले 11 जून यानि की इस मंगलवार को भी एक घंटे का समय निकालिये और अपने और अपने आस पास के बच्चों के साथ बच्चा बन जाइये।और हाँ आपने और बच्चों ने क्या खेला और उसमे बच्चों को कितना मज़ा आया ये मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड कर के जरूर बताइये।