उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से अर्पण श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से एक कहानी की प्रस्तुति की गई

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साथियों , नमस्कार , मैं , सरस्वती , आप सभी बहराइच मोबाइल वाणी में स्वागत है । साथियों , आज मैं एक नई कविता लेकर आया हूँ । ताकी बहुत समझदार था और हमेशा शांतनु को सच्चाई और ईमानदारी का सबक सिखाता था । नतीजतन , जब शांतनु थोड़ा बड़ा हुआ तो उसने छोटे - छोटे काम करने शुरू कर दिए । एक दिन वह मेले में गया और रास्ते में देखा कि वहाँ एक बड़ा पैकेट है , ओह ऐसा क्या लग रहा है कि कोई गिर गया है , चलो पास में एक घोषणा करते हैं । इस तरह सोचकर , वह वहाँ जाता है जहाँ माइक से घोषणाएँ हो रही थीं और कहता है । सुनो , किसी का पैकेट गिर गया है , क्या तुम एक घोषणा कर सकते हो , अरे , हाँ , तुम यह पैकेट क्यों नहीं लाते , मुझे दो , और मैं आपको दूँगा । जैसे ही तनु पैकेट देता है और आगे बढ़ता है , वह एक बूढ़े दादा को रोते हुए देखता है , वह पूछता है कि दादा का क्या हुआ , आप क्यों रो रहे हैं , बूढ़े दादा कहते हैं कि आज मेरी पोती की शादी हो रही है और मैं अपनी लापता भैंस पर हूँ । मैं यह पैसा लेने जा रहा था लेकिन अचानक मुझे चक्कर आया और वह पोटली कहीं गिर गई । संताना ने सोचा कि वह उसी पोटली के बारे में बात नहीं कर रहा था जो मुझे मेले में मिली थी । उन्होंने कहा , ' एक मिनट रुकिए । आया दौरे की घोषणा करने वाले व्यक्ति के पास जाती है और कहती है कि अंकल , मुझे वह पोटली दें , जो पोटली है , मेरे पास कोई पोटली नहीं है । शांतनु को यह समझ में नहीं आता कि यह बेईमानी है । उन्होंने एक समाधान के बारे में सोचा और कहा कि सुनो , मुझे एक ही तरह की एक और पोटली मिली है , इसलिए मैं देखना चाहता था कि क्या दोनों एक ही व्यक्ति की हैं । तो जैसे ही उसने वह गुड़िया दिखाई , शांतनु ने वह गुड़िया उस बूढ़े दादा को दे दी । उस बूढ़े दादा ने शांतनु को उनकी समझ और ईमानदारी के लिए बहुत धन्यवाद और आशीर्वाद दिया । बड़ा व्यापारी यह सब देख रहा था , उसने तुरंत शांतनु को अपने व्यवसाय में शामिल कर लिया और यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची ईमानदारी से बड़ा कोई फल नहीं है ।

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चुटकुले

कहानी

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नमस्कार दोस्तों , मैं आप सभी का शालिनी पांडे बहराइच मोबाइल वाणी में स्वागत करती हूं । साथियों , आज हम बहुत पहले की एक प्यारी सी कहानी लेकर आए हैं । प्रतिदिन भगवान की भक्ति की जानी थी और आने वाले लोगों को धर्म का प्रचार किया जाना था , गाँव वाले भी मंदिर आने पर साधु को कुछ न कुछ दान करते थे , इसलिए साधु के लिए भोजन और कपड़ों की कोई कमी नहीं थी । भोजन करने के बाद साधु बचा हुआ भोजन छीनकर छत से लटका देता था , समय इतना सुचारू रूप से चल रहा था , लेकिन अब साधु के साथ एक अजीब घटना हुई , जो भोजन छींकता था और गायब हो जाता था । साधु परेशान हो गए और उन्होंने इस बारे में जानने का फैसला किया । वह रात में दरवाजे के पीछे छिप गया और देखा कि एक छोटा चूहा उसका खाना ले गया । अगले दिन , उन्होंने छत्ते को और ऊपर उठाया । दीया ताकि चूहा उस तक न पहुँच सके , लेकिन यह उपाय भी काम नहीं आया । उसने देखा कि चूहा ऊपर कूद गया और छींक पर चढ़ गया और भोजन बाहर लाया । अब साधु एक दिन चूहे से परेशान था । उसी मंदिर में एक भिखारी आया और उसने साधु को परेशान होते देखा और उसकी परेशानी का कारण पूछा । उसी रात बिचू और साधु मिलकर यह जानना चाहते थे कि चूहा खाना कहाँ लेता है । उन्होंने चुपके से चूहे का पीछा किया और देखा कि चूहे ने मंदिर के पीछे अपना बिल बनाया है । चूहों के जाने के बाद , उन्होंने बिल खोदा और देखा कि चूहे के पास बिल में भोजन का एक बड़ा भंडार था , फिर कुत्ते ने कहा कि यही कारण है कि चूहे में इतनी ऊँची कूदने की शक्ति है । जब चूहा वापस आया तो उसने वहाँ सब कुछ खाली पाया , इसलिए उसने अपना आत्मविश्वास खो दिया । उसने सोचा कि वह फिर से खाना इकट्ठा करेगा । वह रात में छींकता था । कहानी हमें सिखाती है कि संसाधनों की कमी से आत्मविश्वास की कमी हो जाती है , इसलिए जब वह जाता है और कूदता है , तो आत्मविश्वास की कमी के कारण वह वहां नहीं पहुंचता है और साधु उसे वहां से भगा देता है ।