उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की पिछले सात वर्षों में लगभग सत्तर पेपर लीक हुए हैं , जिससे डेढ़ करोड़ छात्र प्रभावित हुए हैं । साल 2019 के बाद से हर साल तीन पेपर लीक हो रहे हैं । वहीं अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो आठ पेपर लीक हुए हैं। हर साल तीन करोड़ छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं । एक बच्चे की पढ़ाई पर पूरे साल लगभग दो लाख रुपये खर्च होते हैं और पेपर लीकेज जैसी समस्याओं के कारण यह बर्बाद हो जाता है । इसका भुगतान कौन करेगा ? आज पेपर लीक एक राष्ट्रव्यापी बीमारी बन गई है जिसने युवाओं के करियर पर कहर बरपाया है ।