साथियों, आये दिन हमें ऐसे खबरे सुनने को और देखने को मिलती कि फंलाने जगह सरकारी स्कुल की छत गिर गई या स्कुल की दिवार ढह गई। यहाँ तक कि आजकल स्कुल के क्षेत्र में लोग पशु भी बाँधने लगते है, अभी ऐसी ही खबर दैनिक भास्कर के रांची सस्करण में छपी। रांची के हरमू इलाके में जहाँ कुछ लोग वर्षो सेअपने दुधारू पशु को स्कुल से सटे दीवाल में बाँध रहे है और प्रशासन इस पर मौन है। ये हाल झारखण्ड की राजधानी रांची के एक सरकारी स्कुल का है , बाकि गाँव का हाल तो छोड़ ही दीजिये। क्या आपको पता है कि शिक्षा के अधिकार के नियम के तहत स्कुल में पीने का साफ़ पानी और शौचालय की बुनियादी सुविधा के अनिवार्य रूप से मुहैया करवाने की बात कही गयी है। और ये बेसिक सी चीज़े उपलब्ध करवाना सभी सरकारों का काम है। लेकिन जब 25 से 35 % स्कूलों का हाल ये हो तब किसे दोषी माना जाए ? सरकार को नेताओ को या खुद को कि हम नहीं पूछते??? बाक़ि हाल आप जान ही रहे है। तब तक, आप हमें बताइए कि ******आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में शौचालय और पानी की व्यवस्था कैसी है ? ****** वहां के स्कुल कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ****** साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।
चलिए सुनते हैं बच्चों के शारीरिक इशारों से जुड़ी भाषा। जानते हैं, माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए बच्चों के इशारों को समझना बहुत ज़रूरी है। कार्यक्रम सुनिए और बताइए,आप अपने छोटे बच्चे के इशारों से उसकी ज़रूरत को कैसे समझते हैं? अपने नन्हे-मुन्नों की बातें रिकॉर्ड कीजिये, फ़ोन में नंबर 3 दबाकर।
सुनिए एक प्यारी सी कहानी। इन कहानियों की मदद से आप अपने बच्चों की बोलने, सीखने और जानने की समझ बढ़ा सकते है। ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? क्या आपके पास भी कोई नन्ही कहानी है? हमें बताइए, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।
‘नागरिकों को राजनीतिक दलों के चंदे का स्रोत जानने का अधिकार नहीं है’ सरकार की तरफ से पेश हुए उसके वकील यानी सॉलीसिटर जनरल आर. रमन्नी ने यह बात सुप्रीम कोर्ट में कही है’। सवाल उठता है कि जब सबकुछ ठीक है तो फिर चंदे से जुड़ी जानकारी जनता से साझा करने में दिकक्त क्या है? राजनीतिक शुचिता और भ्रष्टाचार पर वार करने वाले राजनीतिक दल की सरकार अगर कहे कि वह जनता को नहीं बता सकती की उसकी पार्टी को चंदा देने वाले लोग कौन हैं, तो फिर इसको क्या समझा जाए।
सुनिए हंसी-मज़ाक में डूबे हंसगुल्ले और रिकॉर्ड कीजिए अपने चुटकुले, मोबाइल वाणी पर, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर। जल्द आ रहा है प्रोग्राम, हंसगुल्ले। इसमें आपको नए-नए जोक्स अनोखे अंदाज़ में सुनने को मिलेंगे।
Transcript Unavailable.
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दोस्तों, बचपन मनाओं, बढ़ते जाओ और मोबाइल वाणी लेकर आ रहे है आपके बच्चों के लिए हंसती, गुदगुदाती, नन्ही कहानियां। इन कहानियों की मदद से माता-पिता, दादा-दादी, भैया-दीदी और परिवार के सभी लोग अपने नन्हे- मुन्नों की बोलने-सीखने और जानने की क्षमता बढ़ा सकते है। सुनना न भूलिये, नन्ही कहानियां, हर गुरुवार शाम 7 बजे मोबाइल वाणी पर। और हाँ, आप भी बच्चों को सुना सकते है कोई नन्ही कहानी, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।
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