हैलो बच्चों , मेरा नाम रिंकू डेरिवा है । मैं पटनावर से बोल रहा हूँ । मैं अपनी माँ को एक कविता सुना रहा हूँ । वह झांसी की रानी हैं । रख में ही आई , फिर भा मेरी जवानी थी , घूमी थी , आज़ादी की के लिए , सब क्या चाहते हैं , दो चिरंगी को सपने में खाते , चमकदार संस्थान , वह तलवार पुरानी थी । बुलंद के हरलों के मुह हमने सुनील में कहानी दी खूब लदी मदनी आइटम झस्सी वाली रानी दी कानपुर केनाना की मुखवाली बहन उच्छवी ली थी लक्ष्मीबार । नाम पिता का वह सुल्तान अकेला था , वह नाना के साथ पढ़ती थी , वह नाना के साथ खेलती थी , बुर्ची हाल पपानी कतरी , उनकी लह पहेली विरशला जी की गाथा थी ।