प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसके तहत देश के लगभग 1 करोड़ लोगों को इससे फायदा पहुंचेगा। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी जानकारी

दोस्तों,सूरज से मिलने वाली ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। इंदौर जिले के महू से लेफ्टिनेंट कर्नल अनुराग शुक्ला ऊर्जा के बारे में जरुरी जानकारी दे रहे हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी जानकारी..

2016 में 14% छात्र औपचारिक शिक्षा से बाहर थे जो कि देश में 2023 में भयानक सुधार होने के बाद भी अब मात्र 13.2 फीसद बाहर हैं ... 2016 में 23.4 फीसद अपनी भाषा में कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ पाते थे आज 2023 में अति भयानक सुधार के साथ ये आंकड़ा 26.4 प्रतिशत है ... देश के आज भी 50 फीसद छात्र गणित से जूझ रहे हैं ... मात्र 8 साल में गणित में हालात बद से बदतर हो गए ... 42.7% अंग्रेजी में वाक्य नहीं पढ़ सकते हैं... अगर आप सरकार से जवाब माँगिए , तो वे कहती है कि वो लगातार बैठकें कर रहे हैं लेकिन असर की रिपोर्ट बताती है कि ये बैठकें कितनी बेअसर हैं... तो विश्व गुरु बनने तक हमें बताइये कि *-----आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? *-----वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? *-----और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ?

सरकार का दावा है कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है, और उसको अगले पांच साल तक दिये जाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी दावा किया कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण देश के आम लोगों की औसत आय में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान वित्त मंत्री यह बताना भूल गईं की इस दौरान आम जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।

उद्योगपतियों का मुनाफा बढ़ती दुनिया की गरीबी? हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार बीस तीन सालों में दुनिया के 5 बड़े उद्योगपतियों की संपत्ति में दुगनी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। जिस समय इन अमीरों की दौलत में इजाफा हो रहा था, ठीक उसी समय 5 मिलियन लोग गरीब से और ज्यादा गरीब हो रहे थे। इसमें ज्यादा मजे की बात यह है कि, हाल ही में दौड़ में हुई वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में सर से पांच उद्योगपतियों ने एक नई रणनीति पर चर्चा की और गठबंधन किया। आज हमारे साथ विदर्भ राज्य आंदोलन समिति चेअध्यक्ष नरेश निमजे सर के साथ मोबाइलवाणी पर विशेष बातचीत कर जानकारी साझा की।

सूचना क्रांति के इस दौर में सूचनाओं का अंबार है, इंटरनेट के आने से इसमें लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इसका अंदाजा इस एक बात से लगाया जा सकता है कि वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर एक मिनट में “पांच सौ घंटे” तक देखने लायक सामग्री अपलोड की जा रही है। वहीं, व्हाटसेप और फेसबुक मेसेंजर पर सात करोड़ मैसेज और 19 करोड़ ई-मेल हर मिनट भेजे जा रहे हैं। यह आंकड़े इंटरनेट के कुछ गिने चुने माध्यमों के हैं, पूरे इंटरनेट में इसके अलावा भी बहुत सारी सामग्री अलग-अलग माध्यमों में अपलोड की जा रही है।

हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार बीस तीन सालों में दुनिया के पांच बड़े व्यापारियों की संपत्ति में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जिस समय इन अमीरों की दौलत में इजाफा हो रहा था, ठीक उसी समय पांच मिलियन लोग गरीब से और ज्यादा गरीब हो रहे थे। इससे ज्यादा मजे की बात यह है कि हाल ही में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की बैठक में शीर्ष पांच उद्योगपतियों ने एक नई रणनीति पर चर्चा और गठबंधन किया।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा, मछली पालन कब और कैसे कर सकते है इस बारे में जानकारी दे रहे है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...

हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

नियम क्या हैं, ये क्यों बनाए जाते हैं और इनसे क्या बदलता है... इन तीनों सवालों से अक्सर जनता परेशान रहती है, जनता की परेशानी उसे मिलने वाले नित नए सबक के बावजूद भी बनी रहती है। परेशान जनता यह मानना ही नहीं चाहती है नियम उसकी भलाई के लिए ही होते हैं।हमारे देश में नियमों की तब तक ही अहमियत होती है जब तक वे हमारी मौज मस्ती में बाधा नहीं बनते, एक बार अगर ये नियम हमारी मौज मस्ती में बाधा बनने लगते हैं तो हम बिना इनके बारे में सोचे और भविष्य की परवाह किए इनसे बचने की तरकीबें निकालने लगते हैं। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, क्या आपको भी लगता है कि सरकारों को इस पर पूर्णत प्रतिबंध लगा देना चाहिए, या फिर ऐसे ही थोड़े से पैसे के लालच में उन व्यापारियों को खुली छूट होनी चाहिए जो इसका व्यापार करने में लगे हैं।