भारत में पहली बार अग्रेजों की सरकार ने 1931 में में भी जातिगत जनगणना कराई थी और उसी के आधार पर आजतक जाती गत आरक्षण दिया जाता रहा है। आधुनिक आजाद भारत में समाजिक आर्थिक और जनसंख्या का पता लगाने के लिए अनेकों बार जनगणना तो होती रही है लेकिन जाति के आधार पर नागरिकों की गिनती आज तक नहीं हुई है।

महिला बिल पर अपनी राय रखते हूए समाजवाद एवं धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान से हटाने वाली खबर पर जमकर बरसीं

गांव आजिविका और हम विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर विशेष बातचीत डॉ. अजय सिंह राजपूत क्षेत्रिय निदेशक, क्षेत्रिय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केन्द्र नागपुर कि दिनकर पातुरकर के साथ