क्या आप जानते है कि गुस्से से नहीं बल्कि शांत रहकर ही हम बच्चे का व्यवहार सही रख सकते है। धैर्य से काम लेंगे तो हमारे साथ बच्चों का रिश्ता मीठा होता चला जाएगा। कार्यक्रम सुनिए और अपने नन्हे-मुन्नों के अनुभवों को रिकॉर्ड कीजिये, फ़ोन में नंबर 3 दबाकर।

माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए बच्चों के इशारों को समझना बहुत ज़रूरी है। कार्यक्रम सुनिए और बताइए,आप अपने छोटे बच्चे के इशारों से उसकी ज़रूरत को कैसे समझते हैं?

दोस्तों, एक बार फिर से उन्हीं दिनों को जीने की कोशिश करते हैं अपने बच्चों के संग उनके बचपन को एक त्यौहार की तरह मनाते हुए हंसते हुए, खेलते हुए, शोर मचाते बन जाते हैं उनके दोस्त और जानने की कोशिश करते हैं इस बड़ी सी दुनिया को उनकी आंखों से | घर और परिवार ही बच्चों का पहला स्कूल है और माता पिता दादा दादी और अन्य सदस्य होते हैं उनके दोस्त और टीचर हो. साथ में ये भी कि बच्चों के दिमाग का पचासी प्रतिशत से अधिक विकास छह वर्ष की आयु तक हो जाता है.

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