बिल्ली रास्ता काट दे, तो हम कुछ समय के लिए रूक जाते है या फिर अपना रास्ता बदल देते है क्यों । क्योंकि ऐसा करना हमें बताया गया है । वैज्ञानिक युग में भी हम समाज में अंधविश्वास फैलाने वाले तथाकथित बाबा, पडियार, मांत्रिको द्वारा श्रद्धा व आस्था के आड़ में समाज में अपना मायाजाल फैलाकर लोगों का आर्थिक, शारीरिक, मानसिक शोषण करने वालों के अलावा राजनीतिक स्तर पर स्वार्थ सिद्ध करने के लिए अंधविश्वास का सहारा लिया जाने लगा है। अंधविश्वासी मानसिक गुलामी से बाहर निकलने के लिए हमें अंधविश्वास की परिभाषा समझनी होगी । समाज में व्याप्त अंधविश्वास से कैसे मुक्ति पा सकते है पर चिंतन करने की जरूरत है।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ श्री जीतदास साहू बता रहे हैं कि किन कारणों से आमड़ा के पेड़ में फूल-फल नही आते हैं। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

दोस्तों, एक अनुमान के मुताबिक, हर वर्ष शिक्षा करीब 10 से 12 फीसदी की दर से महंगी होती जा रही है। हर शिक्षण संस्थान प्रत्येक वर्ष अपनी फीस बढ़ाते जा रहे हैं। घर के बाकी खर्चों पर महंगाई के बोझ के मुकाबले शिक्षा के क्षेत्र में महंगाई दोगुनी गति से बढ़ रही है। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य में शिक्षा और महंगी ही होगी। आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा का महत्व काफी तेजी से बढ़ रहा है। सरकार का जोर विशेषकर लड़कियों को शिक्षित करने पर है। इससे प्राइमरी व माध्यमिक विद्यालयों तक तो किशोरियां पढ़ लेती हैं, लेकिन आर्थिक विपन्नता के कारण वह उच्च माध्यमिक व उच्च शिक्षा से वंचित हो जाती हैं। बाकि बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ वाला नारा याद ही होगा। खैर, हमलोग नारो के देश में रहते है और नारा लगाते लगाते खुद कब एक नारा बन जायेंगे , पता नहीं। .. तब तक महँगाई के मज़े लीजिए बाकि तो चलिए रहा है ! ----------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के शिक्षा की की स्थिति क्या है ? ----------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? ----------इस बढ़ती महँगाई के कारण शिक्षा पर होने वाला आपका खर्चा कितना बढ़ा है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

नमस्कार आदाब श्रोताओं, मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है रोजगार समाचार यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो आर आर इ पूर्व रेलवे  के द्वारा निकाली गई कुल 3115  अप्रेंटिस के पदों पर काम करने के लिए इच्छुक हैं। वैसे उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय से 10वीं और आईटीआई पास किया हो। इसके साथ ही उम्मीदवार की आयुसिमा अधिकतम 24 वर्ष तक होनी चाहिए। सभी वर्ग के लिए आवेदन शुल्क 100 रूपए रखा गया है। अप्रेंटिस के पद पर वेतन नियमानुसार दिया जाएगा। इच्छुक उम्मीदवार अपना आवेदन ऑनलाइन भर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आवेदनकर्ता इस वेबसाइट पर जा सकते हैं। वेबसाइट है https://rrcrecruit.co.in/eraprt2324live01rrc/  .योग्य उम्मीदवारों का चयन मेरिट लिस्ट और दस्तावेजों के सत्यापन के बाद  किया जाएगा।  याद रखिए इन पदों पर आवेदन करने की अंतिम तिथि  26-10-2023 है। तो साथियों,अगर आपको यह जानकारी लाभदायक लगी, तो मोबाइल वाणी एप्प पर लाइक का बटन दबाये साथ ही फ़ोन पर सुनने वाले श्रोता 5 दबाकर इसे पसंद कर सकते है। नंबर 5 दबाकर यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ भी बाँट सकते हैं।

संसद के सदस्यों को बांटी गई प्रतियों से जो शब्द हटाये गये उनका महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि वर्तमान में जो दल सत्ता में हैं उसकी और उसके वैचारिक संगठन को हमेशा से इन शब्दों से बैर रहा है, इसका कारण कि वे देश को हिंदूराष्ट्र बनाना चाहते हैं। उनके इस विचार के फलीभूत होने में ये शब्द गाहे-बगाहे आड़े आते रहे हैं।

एवढ्या घाईगडबडीत आणलेल्या कायद्याच्या अंमलबजावणीची कोणतीही पूर्वतयारी का केली गेली नाही किंवा आगामी निवडणुकीत राजकीय फायदा मिळवण्याच्या उद्देशानेच तो केला जात आहे, असा प्रश्न उपस्थित होत आहे. आज आमच्या सोबत विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के महासचिव नरेश निमजे सर सोबत एक अतिशय विशेष विषयावर आपले विचार मोबाइलवाणी वर सोपोले।

Transcript Unavailable.

दोस्तों पांच दिन के इस विशेष सत्र में ऐसा बहुत कुछ हुआ जो संसदीय परंपरा और लोकतंत्र के हिसाब से बिल्कुल भी नहीं है और आभास देता है कि देश सरकारी एकाधिकार की तरफ बढ़ रहा है। ऐसा मानने के वाजिब कारण भी हैं, कारण यह हैं कि अगस्त महीने की आखिरी तारीख को जब घोषणा की गई सरकार पांच दिनों का विशेष सत्र आयोजित करेगी, तब इसका उद्देश्य नहीं बताया गया था, बहुत बाद में जब विपक्ष ने कई बार इसकी मांग की तब सरकार ने दबाव में आकर कहा कि कुछ जरूरी है काम हैं, जिन्हें पूरा किया जाना आवश्यक है, इसके साथ ही सरकार ने उन पांच विषयों की सूची जारी कि जिन पर संसद में काम होना था, लेकिन जब संसद बैठी तो दी गई जानकारी के अनुसार कोई काम नहीं हुआ और पांच दिन के सत्र के दो दिन पुरानी संसद से विदाई और नई संसद के शुभारंभ समारोह में निकल गए, उसके बाद का बचा समय महिला आरक्षण बिल को पेश करने और उसको पास कराने में निकल गया। उसके बाद बचा एक दिन के समय के लिए संसद को स्थगित कर दिया गया। -------दोस्तों आपको क्या लगता है नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को न बुलाने का क्या कारण हो सकता है, कहीं यह राष्ट्रपति की भूमिका को कम करने का प्रयास तो नहीं? ----------या फिर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को पार्टी का कार्यकर्ता मानना उस पद का अपमान तो नहीं। -----------या फिर सरकार द्वारा इस तरह से सूचनाओं को छिपाना और एजेंडे के विपरीत काम करना लोकतंत्र, संसद और उसकी प्रक्रियाओं को कमजोर करने का प्रयास तो नहीं। ------------जो भी हो आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, सरकार द्वारा इस तरह का व्यवहार कितना उचित है, लोकतंत्र में हर नागरिक का बोलना जरूरी है, अपनी बात रखना जरूरी है।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.