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भारत भीड़ से जुड़े हादसों का तेजी से केंद्र बनता जा रहा है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन में कहा गया है कि धार्मिक समारोहों में भीड़ से जुड़े हादसे होने की आशंका सबसे ज्यादा रहती है। भीड़ से जुड़े हादसों में जान गंवाने वाले और घायल होने वाले लोगों का अबतक का सबसे व्यापक डेटाबेस तैयार किया गया है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 11 से 17 मई के लिए जारी ऐरिडिटी एनोमली आउटलुक इंडेक्स में जानकारी दी है कि भारत में कम से कम 78 फीसदी जिले सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहे थे।इस के मुताबिक देश के 691 में से केवल 116 जिले ऐसे थे जहां स्थिति शुष्क नहीं हैं। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, यदि दुनिया भर के देश और कंपनियां मौजूदा तकनीकों का उपयोग करके नीति में बदलाव करती हैं, तो 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण 80 फीसदी तक कम हो सकता है।प्लास्टिक प्रदूषण को मात देने के लिए एक वैश्विक समझौते पर पेरिस में दूसरे दौर की वार्ता से पहले इस रिपोर्ट को जारी किया गया है।ज़्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

बढ़ते वजन और मोटापे को नियंत्रित रखने के साथ गैर संचारी रोगों के जोखिम को कम करने के लिए चीनी के स्थान पर उसके कृत्रिम या प्राकृतिक विकल्पों के सेवन को बेहतर समझा जाता रहा है, लेकिन क्या सच में ऐसा होता है। इस बारे में 15 मई 2023 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नए दिशानिर्देश जारी करते हुए आगाह किया है कि मिठास के इन कृत्रिम और प्राकृतिक विकल्पों के सेवन से बचना चाहिए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

भारतीय दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जो भारत में फसल के लिए अहम है। इसकी शुरुआत केरल से होती है, जो गर्म और शुष्क मौसम को बरसात के मौसम में बदल देता है। जैसे-जैसे मॉनसून उत्तर की ओर बढ़ता है, कई इलाकों में पड़ रही चिलचिलाती गर्मी से लोगों को राहत महसूस होती है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

आए दिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ ना कुछ ऐसी खबरें वायरल होती है, जो लोगों के अंदर भ्रम पैदा करती है। अब ऐसी ही एक न्यूज तेजी से फैल रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि देश में 10 दिन के लिए सब कुछ बंद होने वाला है।आज के दौर में कोई भी सोशल मीडिया पर सामने आने वाली किसी भी न्यूज़ या फिर वायरल वीडियो पर भरोसा कर लिया जाता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

ग्लोबल वार्मिंग का एक और प्रभाव झारखंड में देखने को मिल रहा है। मार्च-अप्रैल में पड़ी भीषण गर्मी की वजह से झारखंड के घाटशिला के लोग एक ऐसी मक्खियों का सामना करने को मजबूर हैं कि उससे बचने के लिए उन्होंने पूरी रात ही नहीं बल्कि दिन भर मच्छरदानी का सहारा लेना पड़ रहा है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

मोका चक्रवात 13 मई को बंगाल की खाड़ी से टकरा चुका है। मौसम विज्ञानियों और जलवायु वैज्ञानिकों ने कहा कि यह साल 1982 के बाद मई के महीने में बंगाल की खाड़ी से टकराने वाला सबसे तेज गति का चक्रवात है। इसकी तीव्रता 260 किमी प्रति घंटे थी, जिसकी वजह से बांग्लादेश और म्यांमार के तटों पर भारी नुकसान हुआ। इससे पहले साल 1997 में बंगाल की खाड़ी से एक चक्रवात 212 किलोमीटर की रफ्तार से टकराया था। वहीं साल 2020 में अम्फान चक्रवात 265 किलोमीटर की रफ्तार से बंगाल की खाड़ी से टकराया था। इस चक्रवात में कम से कम तीन लोगों के मारे जाने की सूचना मिली थी, क्योंकि चक्रवात ने बांग्लादेश में दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर को पार करने के लिए तैयार किए गए रास्ते पर लैंडफॉल बना दिया था, जो लगभग एक लाख रोहिंग्याओं का घर था, जो सालों पहले पड़ोसी म्यांमार से भाग गए थे। व्यापक विनाश की आशंका पर सुरक्षा की टीमों ने बांग्लादेश और म्यांमार से सैकड़ों हजारों लोगों को सुरक्षित निकाला। भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा कि वर्ष 2008 में चक्रवात नरगिस की तीव्रता 215 किमी प्रति घंटे की थी। यह म्यांमार से टकराने वाली सबसे खराब मौसम संबंधी आपदा थी। चक्रवात मोका ने अब वैश्विक एजेंसियों के अनुसार 260 किमी प्रति घंटे की अधिकतम हवा की गति प्राप्त कर ली है, जो सुपर साइक्लोन श्रेणी के अंतर्गत आता है।

भारत में औसतन हर घंटे 345 नवजातों का जन्म समय से पहले हो जाता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई रिपोर्ट बर्न टू सून: डिकेड ऑफ एक्शन ऑन प्रीटर्म बर्थ में सामने आई है।इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ,विश्व स्वास्थ्य संगठन और मातृत्व, नवजात शिशु और बाल स्वास्थ्य के लिए साझेदारी सहित विभिन्न संगठनों ने मिलकर तैयार किया है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।