"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ जीवदास साहू बैगन की नर्सरी कैसे तैयार करे इसकी जानकारी दे रहे है अन्य जानकारियों के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...

हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए...

नदी की साँसें लौट आई हैं... सूर्य का तेज और तेज हो रहा है... प्रकृति की पूजा का अनूठा पर्व छठ... शुरु हो चुका है. दोस्तों आप सभी को छठ महापर्व की शुभकामनाएं.. इस त्यौहार से जुड़ी आपके पास बहुत सारी कहानियां होंगी... बचपन के किस्से होंगे, गीते होंगे.. यादें होंगी... क्यों ना इस बार मोबाइलवाणी के मंच पर उन सभी किस्सों, कहानियों, यादों को समेंटा जाए... कुछ रिकॉर्ड किया जाए... कुछ ऐसा जो लोगों को प्रेरणा दें, साहस दे, ज्ञान दे... और साथ ही साथ मनोरंजन भी. चलिए तो फिर जल्दी से फोन में नम्बर 3 का बटन दबाइए और रिकॉर्ड कीजिए छठ से जुड़ा आपका सबसे अच्छा पल, सबसे पंसदीदा गीत या फिर कहानी..

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हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए...

यूनेस्को की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 1.10 लाख ऐसे स्कूल हैं जो केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इसके अलावा देश भर में शिक्षकों के लगभग 11.16 लाख पद खाली हैं और उसमें से भी तक़रीबन 70 फीसदी पद गांव के इलाके के स्कूलों में हैं। है ना मज़ेदार बात। जो गाँव देश की आत्मा है , जिसके लिए सभी सरकारें खूब बड़ी बड़ी बातें बोलती रहती है। कभी किसान को अन्नदाता , भाग्य विधाता, तो कभी भगवान तक बना देती है। उसी किसान के बच्चों के पढ़ने के लिए वो स्कूलों में सही से शिक्षक नहीं दे पाती है। जिन स्कूलों में शिक्षक है वहाँ की शिक्षा की हालत काफी बदहाल है. माध्यमिक से ऊपर के ज्यादातर स्कूलों में संबंधित विषयों के शिक्षक नहीं हैं. नतीजतन भूगोल के शिक्षक को विज्ञान और विज्ञान के शिक्षक को गणित पढ़ाना पड़ता है. ऐसे में इन बच्चों के ज्ञान और भविष्य की कल्पना करना मुश्किल नहीं है. लोग अपनी नौकरी के लिए तो आवाज़ उठा रहे है। लेकिन आप कब अपने बच्चो की शिक्षा के लिए आवाज़ उठाएंगे और अपने जन प्रतिनिधियों से पूछेंगे कि कहाँ है हमारे बच्चो के शिक्षक? खैर, तब तक, आप हमें बताइए कि ------आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ------ क्या आपने क्षेत्र या गाँव के स्कूल में हर विषय के शिक्षक पढ़ाने आते है ? अगर नहीं , तो आप अपने बच्चों की उस विषय की शिक्षा कैसे पूरी करवाते है ? ------साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

इस खास दिन पर हम आपसे जानना चाहते हैं कि आपका विद्यार्थी जीवन कैसा रहा या फिर कैसा है? बतौर विद्यार्थी आप क्या क्या सीख रहे हैं और क्या क्या सीखना चाहते हैं? अपनी शिक्षा, अपनी चुनौतियों और अपने सपनों के बारे में यहां बात करें... फोन में नम्बर 3 दबाकर.

दोस्तों, दुनिया भर में काम के घंटे घटाए जाने की मांग बढ़ जा रही है, दूसरी तरफ भारत काम के घंटों को बढ़ाए जाने की सलाह दी जा रही है। भारत में ज्यादातर संस्थान छ दिन काम के आधार पर चलते हैं, जिनमें औसतन 8-9 घंटे काम होता है, उस हिसाब से यहां औसतन पैंतालिस घंटे काम किया जाता है। जबकि दुनिया की बाकी देशों में काम के घंटे कम हैं, युरोपीय देशों में फ्रांस में औसतन 35 घंटे काम किया जाता है, ऑस्ट्रेलिया में 38 घंटे औसतन साढ़े सात घंटे काम किया जाता है, अमेरिका में 40 घंटे, ब्रिटेन में 48 घंटे और सबसे कम नीदरलैंड में 29 घंटे काम किया जाता है। दोस्तों, बढ़े हुए काम घंटों की सलाह देना आखिर किस सोच को बताता है, जबकि कर्मचारियों के काम से बढ़े कंपनी के मुनाफे में उसका हक न के बराबर या फिर बिल्कुल नहीं है? ऐसे में हर बात पर देशहित को लाना और उसके नाम पर ज्यादा काम की सलाह देना कितना वाजिब है? इस मसले पर अपना राय को मोबाईल वाणी पर रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आप भले ही मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में, इसे रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं अपने फोन से तीन नंबर का बटन

कोई अपना उम्मीदवार कैसे चुनता है यह कोई रहस्यमयी प्रक्रिया है जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते ! भारत का मतदाता अक्सर चुनाव विश्लेषकों और एक्जिट पोल वालों को चकित करता आया है । क्या चुनाव में प्रेम जैसा कुछ अबूझ है जिसके चलते कई बार प्रेमी प्रेमिका की तरह ही उम्मीदवार को भी पता नहीं होता उसे क्यों चुन लिया गया !

हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए...