भारत में इस विषय पर सबसे कम बातचीत होती है कि वास्तविक मजदूरी में कोई बढ़ोत्तरी हुई है या नहीं, जबकि यह बेरोजगारी के आंकड़ों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण विषय है। सबसे गरीब लोगों के लिए बेरोजगारी का सवाल बहुत प्रासंगिक नहीं है। गरीब लोग शायद ही कभी बेरोजगार होते हों, क्योंकि वे कुछ-न-कुछ किये बिना जीवित ही नहीं रह सकते। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।