नमस्ते , मेरा नाम गीता देवी है और मैं लालगाज प्रसाद से बात कर रहा हूँ जब हम पहले बच्चे को दूध पिलाते थे और फिर उसे खिलाते थे । जब हम सोने जाते थे तो अगस्त में पेस झूला जलाते थे और हम जिस तरह से उस कविता का पाठ करते थे वह है गुगुआमा में से हृदय । ही छोड़ा लेट से पटबा उड़िया है बदज बिल्लया का है प्लेजा टी से बुई ताई हरिया साइड रईसी है बहूजई तो फेरे स्टूडेंटों का घर ।