घरेलू हिंसा की शिकार ज्यादातर सूदूर देहात क्षेत्र में रहने वाली गृहिणियां होती हैं। हालांकि अब भारतीय न्याय संहिता ने महिलाओं में जागरूकता बढ़ाई है,जिसके चलते अब स्कूलों में जाने वाली छात्राएं घर में मां दादी चाची ताई या पास पड़ोस में रहने वाली आंटी दीदी के साथ होने वाली घरेलू हिंसा की जानकारियां देने लगी हैं। प्रशासन द्वारा जारी किए गए महिला हेल्पलाइन चाइल्ड हेल्पलाइन और अन्य टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर के जरिए अब महिलाओं से जुड़े घरेलू हिंसा जैसे मामलों में कमी आ रही है। फिर भी शराब पी कर घर आने वाले पिता,पति या भाई के द्वारा महिलाओं को मारना पीटना अब भी जारी है। किंतु पहले की तुलना में सोशल मीडिया और इंटरनेट मीडिया के आज के दौर में अब महिलाएं तेजी से जागरूक हो रही हैं और अपने खिलाफ होने वाले अत्याचार तथा घरेलू हिंसा के प्रति मुखर विरोध करने लगी हैं। किंतु आज भी हमारी सामाजिक परिवार व्यवस्था का ताना-बाना कुछ इस तरह से उलझा हुआ है कि रात में घरेलू हिंसा का शिकार होने वाली महिलाओं को उनकी अपनी ही मां सास पड़ोस की अम्मा यह कहते हुए दबा देती हैं कि अब अपने घर की समस्या को चौराहे पर ले जाएगी या थाना पुलिस होगा तो तुम्हारे ही परिवार की बहुत बदनामी होगी। बच्चों पर इसका गलत असर पड़ेगा आदि इत्यादि। लेकिन घरेलू हिंसा के प्रति आवाज उठाना हर महिला का संवैधानिक हक़ और अधिकार है उन्हें बोलना होगा। बोलेंगे तो ही यह समाज बदलेगा और स्त्री पुरुष के समानता के अधिकार को समाज को स्वीकार करना होगा।