रिपोटर/ अजीत कुमार एकर/ रजली देवी इंटर मीडिएट कालेज में धूम धाम से मनाया गया बंसत पंचमी व सरस्वती पूजन का कार्यक्रम वही कार्यक्रम में मुख्य रूप से मौजूद रजली देवी इंटर मीडिएट कालेज के प्रधान चार्य सुरेंद्र कुमार ने बताया कि बसंत पंचमी त्योहार को सरस्वती पूजा के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन वसंत उत्सव की शुरुआत का जश्न मनाते हैं. यह त्यौहार माघ महीने के अंत में आयोजित किया जाता है, जो आमतौर पर जनवरी के अंत और फरवरी की शुरुआत के बीच होता है. कहते हैं कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया था. वही वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही बसंत पंचमी का त्योहार आता है. ज्यादातर पूर्वी भारत में, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और बिहार में, इसे सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है. वहीं, राजस्थान में इस उत्सव के दौरान चमेली की माला पहनते हैं, जबकि उत्तर भारत में, विशेष रूप से पंजाब में, बसंत पंचमी को पतंग उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसके अतिरिक्त, पंचमी हिंदू धर्म में वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है. यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास (महीना) के पांचवें दिन होता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया था. देश के कुछ क्षेत्रों में, सरस्वती पूजा इस मान्यता के कारण भी मनाई जाती है कि इस दिन देवी दुर्गा के घर देवी सरस्वती का जन्म हुआ था बसंत पंचमी के बारे में एक ऐतिहासिक कथा प्रचलित है. एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, विद्या, संगीत और कला की देवी सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ माना जाता है; जो लोग ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं वे उनकी पूजा करते हैं. इस प्रकार, बसंत पंचमी पर, लोग अक्सर सरस्वती पूजा मनाते हैं. वही रजली देवी डिग्री कालेज के प्रधान चार्य अमरीश तिवारी ने बातया की यह त्यौहार कॉलेजों और विश्वविद्यालयों जैसे शैक्षणिक संस्थानों में भी मनाया जाता है. देवी सरस्वती को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, और ऐसा कहा जाता है कि देवी सरस्वती अपने भक्तों को प्रचुर मात्रा में विद्या, समझ और ज्ञान प्रदान कर सकती हैं. ज्ञान की देवी को प्रसन्न करने के प्रयास में संगीत और नृत्य की विविध प्रस्तुतियां आयोजित की जाती हैं, जबकि छात्र और शिक्षक दोनों नई पोशाक पहनते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं. हिंदू संस्कृति में बसंत पंचमी का अत्यधिक महत्व है. नए प्रयासों, वैवाहिक मिलन और गृहप्रवेश समारोह (गृह प्रवेश) के लिए यह दिन बेहद अनुकूल माना जाता है. वसंत पंचमी के उत्सव के दौरान पीले फूलों वाली सरसों की फसल की कटाई, देवी सरस्वती का पसंदीदा रंग, पीले रंग से दर्शाया जाता है. परिणामस्वरूप, सरस्वती मां के अनुयायी पीले वस्त्र पहनते हैं. इसके अतिरिक्त, त्योहार के उपलक्ष्य में, एक पारंपरिक दावत का आयोजन किया जाता है,