लगभग 24 घंटे की जांच के दौरान पता चला है कि पुल का निर्माण वर्ष 1983 में राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण कार्यक्रम (एनआरईपी) के तहत बैलगाड़ी व छोटे वाहनों के आवागमन के लिए कराया गया था। इसके बाद कई बार मार्ग निर्माण तो हुआ, लेकिन पुल की मरम्मत कराने या इसकी जगह दूसरा पुल बनवाने की कोई कवायद नहीं हुई। लोक निर्माण विभाग और सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम नया पुल बनवाने के लिए प्रस्ताव तैयार करेगी और डीएम इसे शासन से मंजूरी दिलाएंगे। बिलग्राम जफरपुर मार्ग पर गनीपुर गांव के निकट गहा नाला पर बना जर्जर पुल मौरंग लदे डंपर के गुजरने के दौरान ढह गया था। डंपर भी इसी में फंस गया था, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ था। फौरी तौर पर लोक निर्माण विभाग और सिंचाई विभाग एक दूसरे का पुल होने की बात कह रहे थे, लेकिन सीडीओ सौम्या गुरूरानी ने शुक्रवार शाम ही सभी संबंधित विभागों के अभियंताओं और एसडीएम बिलग्राम को भी मौके पर भेजा था। डीएम एमपी सिंह ने बताया कि पुल वर्ष 1983 के आसपास बनवाया गया था। इसके कारण पुल जर्जर हो गया था। यहां पर आवागमन पूरी तरह बंद करा दिया गया है। पुल क्षतिग्रस्त होने संबंधी सूचना पट भी लगवा दिया गया है। आवागमन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी करा दी गई है। उन्होंने बताया कि नए पुल के निर्माण के लिए आगणन तैयार करने के आदेश दिए हैं। इसे मंजूरी के लिए शासन भेजा जाएगा। अभी तक की परिस्थितियों के मुताबिक, लोक निर्माण विभाग या सेतु निगम से ही उक्त पुल के निर्माण की मंजूरी मिलेगी। इसके लिए शासन स्तर पर विशेष प्रयास कर मंजूरी ले ली जाएगी। देना होगा प्रमाण पत्र- हमारे यहां कोई पुल जर्जर नहीं घटना के बाद डीएम एमपी सिंह ने लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, जिला पंचायत, सेतुनिगम समेत सभी कार्यदायी संस्थाओं से प्रमाण पत्र मांगा है। संबंधित विभागों के अधिकारियों को दस दिन में यह प्रमाण पत्र डीएम के पास भेजना होगा कि उनके विभाग का कोई भी पुल या पुलिया जनपद में क्षतिग्रस्त अथवा जर्जर नहीं है। अगर कहीं कोई पुल या पुलिया क्षतिग्रस्त होने की बात सामने आएगी, तो उसकी मरम्मत और निर्माण के लिए शासन में प्रयास किया जाएगा। सड़क को लेकर भी लोक निर्माण विभाग के अंदर तकरार पुल गिरने के बाद लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं ने कार्रवाई से बचने की कवायद शुरू कर दी। इस कवायद में विभाग के ही अभियंताओं में भी तकरार हो गई। मार्ग और पुल को अपना बताने से इनकार करने वाले निर्माण खंड दो के अधिशासी अभियंता ब्रजेश दीपक को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना निर्माण खंड दो (प्रधानमंत्री परियोजना) की अधिशासाी अभियंता नीलम ने एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिए जवाब दिया। नीलम के मुताबिक, बिलग्राम रहुला जफरपुर मार्ग का निर्माण विभाग ने वर्ष 2009-10 में कराया था। वर्ष 2017-18 में उक्त मार्ग पर सामान्य मरम्मत के साथ नवीनीकरण का कार्य अधिशासी अभियंता निर्माण खंड-3 (प्रधानमंत्री परियोजना) ने कराया था। अनुरक्षण अवधि वर्ष 2019 में खत्म होने के बाद इसे लोक निर्माण विभाग के खंड-दो के अधिशासी अभियंता को हस्तांतरित कर दिया गया था। उनका दावा है कि उक्त मार्ग के रख रखाव का कार्य लोक निर्माण विभाग के खंड-दो के स्तर से ही किया जा रहा है। हालांकि पुल के बाबत उन्होंने कहा कि इसका निर्माण 40 साल पहले शारदा नहर खंड हरदोई से कराया गया था। पूरा सहयोग करेंगे, लेकिन विभागीय अभिलेखों में पुल नहीं सिंचाई विभाग शारदा नहर खंड के अधिशासी अभियंता अखिलेश गौतम ने पूरे मामले पर कहा कि जनता को राहत देने के लिए ही काम करते हैं। डीएम का जो भी आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा। दूसरा विभाग भी कोई सहयोग मांगेगा तो हर स्तर से सहयोग करेंगे, लेकिन विभागीय अभिलेखों में उक्त पुल के निर्माण का कोई उल्लेख नहीं है। इसके अलावा जिस गहा नाला पर पुल निर्मित है वह भी शारदा नहर खंड के अधीन नहीं आता है। विभागीय अभिलेखों में 1981 से 1990 के बीच कोई एस्टीमेट उक्त पुल के निर्माण के लिए मंजूर नहीं हुआ है।