गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए झरही नदी तटीय इलाकों में शवदाह गृह निर्माण के नाम पर केंद्र और राज्य सरकार अंधाधुंध बजट खर्च कर रही है। जिम्मेदार तो लाल हो गए, लेकिन गंगा मैली ही रह गईं। लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए शवदाह गृह का अंतिम संस्कार हो गया। हकीकत तो यह है कि निर्माण एजेंसियों ने इस कदर निर्माण में गड़बड़ी की है कि प्रयोग करने के पहले ही योजना धराशायी हो गई।विशुनपुरा ब्लाक के पिपरा बुजुर्ग गांव में बने शवदाह गृह को देख ऐसा ही लगेगा।        ग्राम पंचायत की ओर से विशुनपुरा ब्लाक के पिपरा बुजुर्ग गांव में शव के अंतिम संस्कार के लिए लाखों रुपये की लागत से शवदाह गृह तो बनाया गया,लेकिन वहां जाने के लिए एक भी चकरोड या रास्ता नही है,विभागीय साठगांठ से ग्राम सभा की खाली पड़ी भूमि पर लाखो की लागत से तत्कालीन प्रधान व सचिव ने सत्र 016/017 मे निर्माण कराकर धन का बंदरबांट कर लिया गया है,लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि आज तक इस शवदाह गृह में एक भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। शवदाह गृह में बनाए भवन व दिवारें जर्जर हो गए और झाड़ झखाड से पटा पडा हुआ है।क्षेत्रीय जनता शव के अंतिम संस्कार के लिए गांव के डगरहा झरही नदी तट या पनियहवा नारायणी नदी किनारे दाह संस्कार करने को मजबूर हैं।