सण्डीला कस्बे के रामलीला मैदान मे चल रही रामलीला के तीसरे दिन वृंदावन से आये कलाकारों द्वारा अहिल्या उद्धार व नगर दर्शन का मंचन हुआ। कलाकारों के मनमोहक प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। रामलीला मंचन में इंद्र का गुप्त दरबार दिखाया गया जिसमें केवल सूर्य व चंद्रमा को इंद्र ने बुलाया था। चंद्रमा को मुर्गा बनाकर आधी रात्रि के समय बांग देने को कहा। चंद्रमा ने वैसा ही किया। गौतम ऋषि मुर्गे की आवाज सुनकर समझे की सवेरा हो गया और गंगा स्नान करने चले गए। तट पर पहुंचते ही गंगाजी ने उन्हें बताया कि अभी मध्य रात्रि है। सबेरा नहीं हुआ है आपको छला गया है जिस पर वे अपने आश्रम को पुन: वापस हुए। उधर देवराज इंद्र गौतम ऋषि के रूप में अहिल्या के पास पहुंच गए। दोनों में वार्तालाप हो रहा था कि गौतम वापस पहुंच गए। अपने जैसे व्यक्ति को देखकर वह चकित रह गए और देवराज की चाल को समझते उन्होंने इंद्र व अहिल्या को शॉप दे दिया जिस पर अहिल्या पत्थर हो गई। अहिल्या का उद्धार त्रेतायुग में रामचंद्र जी के चरण रज से होता है और वह स्वर्ण को चली जाती हैं। रामचंद्र जी आगे बढ़कर गंगाजी के तट पर पहुंचते हैं और उनकी वंदना करके मिथिला नगरी में प्रवेश करते हैं। उनके आने की खबर पाकर राजा जनक अपने दलबल के साथ जाते हैं और मुनि विश्वामित्र सहित राम लक्ष्मण को अपने यहां सुबह नगर भ्रमण के लिए अपने दरबारियों के साथ भेज देते हैं। इस मौके पर कमेटी के संरक्षक गंगा सरन गुप्ता, प्रबंधक प्रेम बाबा, अध्यक्ष अभय गुप्ता, चंद्र मोहन आहूजा आदि मौजूद रहे