हरदोई।बाल विकास पुष्टाहार विभाग की खाऊ कमाऊ नीति के चलते योजनाओं का लाभ आम जनमानस को नहीं मिल पा रहा है। विकासखंड कछौना के अंतर्गत लगभग दो दर्जन केदो पर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां सेवा निवृत होने के कारण बंद चल रहे हैं। इस योजना का उद्देश्य नवजात शिशु, गर्भवती महिलाओं को पोषण के माध्यम से विकास में योगदान करना है। लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते यह विभाग खुद कुपोषित है, जबकि सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-नर्सरी के रूप में विकसित करने का है, परंतु अभी तक आंगनबाड़ी केंद्र अधिकांश किराए व जर्जर भवनों में संचालित हैं। इन केंद्रों पर कार्यकत्रियों व नौनिहालों के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं है। कार्यकत्रियों को बैठने के लिए फर्नीचर मुहैया नहीं है। नौनिहालों के लिए मूलभूत सुविधाएं खेलकूद सामग्री टीएलएम वजन मशीन शिक्षण सामग्री पेयजल के लिए पानी की सुविधा शौचालय आदि सुविधाएं मुहैया नहीं है। आंगनवाड़ी सहायिकाओं को अच्छा प्रशिक्षण का अभाव और बेहतर माहौल न होने के कारण यह योजना केवल कागजों पर चल रही है। बाल विकास परियोजना अधिकारी मुख्यालय पर न रुककर प्रतिदिन लखनऊ से अप डाउन व मनमाने तरीके से आती हैं। जिसके कारण क्षेत्र के दर्जनों केन्द्रों पर ताला लटका रहता है। केवल पोषाहार वितरण के दिन खुलते हैं। मिली जानकारी के अनुसार पुष्टाहार का वितरण मन माने तरीके से किया जाता है। कई माह से केन्द्रों पर पुष्टाहार का वितरण नहीं किया गया है। 7 माह से 3 वर्ष तक, 3 वर्ष से 6 वर्ष तक, गर्भवती महिलाओं को चना दाल दलिया रिफाइंड का वितरण नहीं किया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है, सरकार मानव जीवन के पोषण के प्रति कितना सजग है, अभी ताजा रिपोर्ट में नौनिहालों व गर्भवती महिलाओं में कुपोषण में इजाफा हुआ है। सरकार की प्राथमिकता में आंगनबाड़ी केन्द्रो को बेहतरी नहीं है। जिसका खामियाजा गर्भवती महिलाओं व नौनिहालों को विकास पर पड़ रहा है। वितरण न होने के विषय में बाल विकास परियोजना अधिकारी कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं बता सकीं, शायद कागजों में वितरण दर्शा दिया गया है।