दोस्तों, सरकारी स्कूलों की बदहाली किससे छुपी है? इसी कारण देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था, प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक, पूरी तरह से बाजारवाद में जकड़ गई है। उच्च व मध्यम वर्ग के बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों में अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। नेताओं और नौकरशाह की बात तो दूर अधिकांश विद्यालय में कार्यरत शिक्षक के बच्चे भी सुविधा संपन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं भला ऐसे में सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा की चिंता किसे होगी? देश के छोटे से छोटे विकास खंड में सरकारी स्कूलों में करोड़ों खर्चे जाते हैं फिर भी उनका स्तर नहीं सुधरता। -------------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? -------------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? -------------और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

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कोई भी जागरूक नागरिक यह जानता है कि लोकतंत्र में वोट की क्‍या कीमत है. वोट का अधिकार ही वह बुनियादी अधिकार है, जो लोकतंत्र में हमारी हिस्‍सेदारी और हमारे नागरिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है। दुनिया भर की महिलाओं को यह अधिकार लंबी लड़ाई के बाद हासिल हुआ है।

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गांधी जयंति के ठीक एक दिन बाद घटे एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में सरकारी जांच एजेंसी ईड़ी ने देश के एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान ‘न्यूजक्लिक’ पर कार्रवाई करते हुए संस्थान से जुड़े कई लोगों के घरों में छापेमारी की, इस छापेमारी के बाद न्यूजक्लिक के प्रमोटर और उनके सीए को गिरफ्तार कर लिया गया, इसके अलावा संस्थान के कई लोगों को पूछताछ के लिए भी बुलाया गया। दो गिरफ्तारियों और तमाम लोगों से पूछताछ के अलावा करीब पचास लोगों के लैपटॉप और फोन जब्त कर लिये। ऐसा मान भी लिया जाए कि न्यूजक्लिक ने ऐसा किया है तो फिर सरकार को भी तो चीन के साथ अपने संबंधों को खत्म कर देना चाहिए, क्योंकि चीन सीमा से लेकर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता ही रहता है, रही बात केवल फंड प्राप्त करने की तो सरकार ने कोविड के दौरान बनाए गये पीएम केयर फंड में चीन की तमाम कंपनियों से फंड प्राप्त किया। पीएम केयर में फंड देने के बाद वे सभी कंपनिया भारत में व्यापार कर रही हैं। और उनमें से ज्यादातर कंपनिया लगातार अपने व्यापार में बढ़ोत्तरी कर रही है? ऐसे में क्या सरकार को भी चीन समर्थक माना जाएगा? अगर हां तो फिर सरकार को भी इस्तीफा दे देना चाहिए, और जांच एजेंसियों को पीएम केयरफंड के नाम पर पैसा पाने वाले लोगों की भी जांच करनी चाहिए? इस मुद्दे के पक्ष या विपक्ष में अपनी राय जरूर रिकॉर्ड करें .

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ श्री कपिल देव शर्मा पशुओं में होने वाले लंपी वायरस बीमारी और उपचार से जुडी जानकारी दे रहे है । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

भारत में पहली बार अग्रेजों की सरकार ने 1931 में में भी जातिगत जनगणना कराई थी और उसी के आधार पर आजतक जाती गत आरक्षण दिया जाता रहा है। आधुनिक आजाद भारत में समाजिक आर्थिक और जनसंख्या का पता लगाने के लिए अनेकों बार जनगणना तो होती रही है लेकिन जाति के आधार पर नागरिकों की गिनती आज तक नहीं हुई है।

जोहार साथियों , मोबाइल वाणी लेकर कर आया है रोज़गार समाचार। गुमला ज़िला अंतर्गत डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर मजिस्ट्रेट ऑफिस द्वारा चौकीदार के पद पर कुल 226 रिक्तियाँ निकाली गई है।18 वर्ष से 35 वर्ष के आयु वाले वैसे महिला व पुरुष जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय से न्यूनतम 10 वीं पास किया हो ,वो इस पद के लिए आवेदन कर सकते है।महिलाओं , अनुसूचित जाति /जनजाति उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा में छूट निर्धारित की गई है। इस पद के लिए 2 प्रतिशत सीट खेल कोटा के उम्मीदवारों व 5 प्रतिशत सीट महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। इस पद पर आवेदनकर्ताओं का चयन लिखित परीक्षा और शारीरिक दक्षता परीक्षा के आधार पर होगा। चयनित आवेदनकर्ताओं का वेतनमान 5,200 रूपए से 20,200 रूपए तक तय किया गया है। इच्छुक व्यक्ति अधिकृत वेबसाइट www.gumla.nic.in से आवेदन प्रपत्र प्राप्त कर अन्य शैक्षणिक दस्तावेज़ों के साथ संलग्न कर इस पते पर भेज सकते है। पता है : उपायुक्त का कार्यालय ,नया समाहरणालय भवन भाग 01 ,कमरा संख्या 09 ,गुमला ,झारखण्ड ,पिन कोड - 835207 . बताए गए अधिकृत वेबसाइट के माध्यम से आप इस पद से सम्बंधित आधिकारिक अधिसूचना भी प्राप्त कर सकते है। तो साथियों,अगर आपको यह जानकारी लाभदायक लगी, तो मोबाइल वाणी एप्प पर लाइक का बटन दबाये साथ ही फ़ोन पर सुनने वाले श्रोता 5 दबाकर इसे पसंद कर सकते है। नंबर 5 दबाकर यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ भी बाँट सकते हैं।

गांधी जयंती, एक महान आत्मा को याद करने का मौका है। लेकिन केवल उनको याद करना सही रहेगा या उनके बताये रास्तों पर चलना। याद है ? जब उन्हें कोई एक गाल पर मारता तो वो दूसरा बढ़ा देते थे ,और हम इसे गांधीगिरी कहते है। आइये इस गाँधी जयंती में हम सब मिलकर थोड़ी गांधीगिरी पर चर्चा करते हैं। अगर आप गाँधी जी के बारे में कुछ कहना चाहते हैं या कोई अपनी गांधीगिरी की कोई कहानी सुनाना चाहते हैं तो अपने फ़ोन पर अभी 3 दबा कर रिकॉर्ड कीजिए और हम आपकी बात बहुत सारे लोगों तक पहुचायेंगे। हमे आपकी कहानियों का इंतज़ार रहेगा। जय हिन्द !