सोनपुर जिस तामझाम और धूमधाम से मेले का शुभारंभ किया गया था ठीक उसी अंदाज और उत्सवी माहौल में अपनी खट्टी मीठी यादों के साथ कुछ कही कुछ सुनी के साथ मंगलवार के शाम विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला का सरकारी स्तर पर 32 दिन चलने के बाद समापन हो गया । समापन समारोह को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा कि अगले वर्ष मेला शुरू होने के 6 महीने पहले रोड मैप बना लिया जाएगा । समर्थवान लोग गोवा और बाहर के राज्य मे जाते है लेकिन जो बाहर नही जाते वैसे लोगो के लिए भी मेले को सुव्यवस्थित करते है। उद्घाटन समारोह के दौरान ही मैंने कहा था कि मेले के विकास मे सभी की सहभागिता हो। स्थानीय विधायक को भरोसा दिलाते है कि अगले वर्ष और बेहतर ढंग से मेले का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए सरकार के स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे है। मेले का अपना धार्मिक अध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है । मेले का बेहतर आयोजन के लिए पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन बधाई के पात्र है। मेले मे आने वाले लोग बेहतर अनुभव लेकर जाए यह प्रयास होना चाहिए। इसके पहले उन्होने विधायक रामानुज प्रसाद के मेला से संबंधित सवालो का जवाब देतै हुए कहा कि सभी के सहयोग से मेला का विकास सम्भव है । समापन समारोह के दौरान सोनपुर विधायक डा. रामानुज प्रसाद ने कहा कि यह सोनपुर मेला हमारी पहचान है व शान है रोजी रोटी से भी जुड़ा हुआ है। मेला मे प्रतिदिन लाखो लोग आए और मेला बेहतर रहा लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था में काफी कमी रही । विश्व प्रशिद्ध मेले को ग्रामीण मेला बना दिया गया। मेला कमिटी पहले भी हुआ करता था वैशाली और सारण जिले के पदाधिकारीगण और स्थानीय लोग की संयुक्त बैठक होता था ।किसी को निमंत्रण कार्ड उद्घाटन समारोह और समापन समारोह का नही मिला । यह सबसे दुखद बात है। मेला के बेहतरी के लिए पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन ने कभी मशवरा नही लिया । यह मेला हमलोगो का धरोहर है। पत्रकारो से भी सलाह नही लिया गया। साफ-सफाई सबसे बदतर रहा कोई सुनने वाला नही था। मेला अवधि का विस्तार हो। मेला में सरकारी स्तर पर लगायी गयी प्रदर्शनी पांच का उद्घाटन ही नही हुए और समापन के दो तीन दिन पहले पंचायतीराज विभाग के प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ यह ठीक नही है । सोनपुर विधायक ने कहा कि पहले उद्घाटन और समापन में जिला राज्य के विभागीय मंत्री से लेकर हर विभाग के पदाधिकारी आते थे लेकिन मेला में अब न हीं विभागीय मंत्री आ रहे हैं न हीं राज्य के विभागीय अधिकारी आ रहे हैं यहां तक कि मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री से होता था लेकिन इस मेले की नजर लग गई है कि मेला विकसित के जगह सिमटती जा रही है । विश्व का यह मेला अब जिला का मेला बन गया है जो चिंता का विषय बना हुआ है। हर साल करोड़ों रुपए खर्च पंडाल बनाने एवं अन्य कार्यों में होती है अगर इसे स्थाई किया जाए तो उससे करोड रुपए की बचत होगी और मेला विकसित होगा । मेला का विस्तार के साथ मेला के तिथि में बढ़ोतरी करने की जरूरत है क्योंकि मेला भले ही 32 दिन के लगती है लेकिन यह मेला 3 माह तक चलती है ऐसे में मेले में साफ सफाई ,सुरक्षा व्यवस्था, बिजली ,पानी और व्यापारियों ,मेलार्थियों की किसी तरह की कठिनाई न हो इस पर प्रशासन और सरकार को ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि यह मेला इस क्षेत्र के लिए रोजी रोजगार और जीवकोपार्जन का साधन है । ज़्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।