सनातन धर्म में माघ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा को बहुत ही महत्वपूर्ण दिन माना गया है। इस दिन दूर-दूर से लोग गंगा स्नान के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और पुण्यफल की प्राप्ति होती है। माघ पूर्णिमा और रविदास जयंती दोनों है। रविदास जी ने भी कहा है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा अर्थात मन शुद्ध होगा तभी पवित्र गंगा में स्नान का फल प्राप्त होगा। पुराणों में इस संबंध में बताया गया है कि माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं। इसके अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में होते हैं इसलिए इनमें सारे रोगों से मुक्ति दिलाने वाले गुण उत्पन्न होते हैं। वही माघ पूर्णिमा के अवसर पर पतित पावनी मां गंगा के तट पर लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में डुबकी लगाई। भोर से ही श्रद्धालुओं का हुजूम गंगा घाटों पर उमड़ पड़ा। इस दौरान श्रद्धालुओ ने गंगा स्नान करते हुए दान पुण्य किया।