वाराणसी के भारत अध्ययन केन्द्र, बीएचयू, महाकवि जयशंकर प्रसाद ट्रस्ट,लखनऊ एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'महाकवि जयशंकर प्रसाद और भारत का सांस्कृतिक गौरवबोध' के दूसरे दिन डा. विध्याचल यादव ने कहा कि प्रेमचंद और प्रसाद हिंदी कथा साहित्य में एक साथ उदित होते हैं और दोनों काशी के हैं। प्रसाद का मूल्यांकन प्रेमचंद के समानांतर ही होता रहा। प्रसाद की कला कथा, कविता, उपन्यास में भी रहा परंतु प्रेमचंद से कुछ कमजोर लेकिन अद्भुत विचारों वाले हैं। डा. मयंक भार्गव, डा. विवेक सिंह, हुई। प्रो. बलिराज पांडेय व डा. प्रभाकर सिंह ने विचार प्रकट किए । संचालन डा. अमित कुमार पांडेय और धन्यवाद ज्ञापन डा. कविता प्रसाद ने किया। कार्यक्रम में प्रो चन्द्रकला त्रिपाठी, डा. जया पांडेय व डा. गीता योगेश भट्ट आदि रहीं।