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जेंडर हिंसा के खिलाफ चल रहे हमारे इस कार्यक्रम बदलाव का आगाज़ में आज सुनिए यशस्विनी जी को, जो जेंडर आधारित हिंसा पर कानूनी मामलों की जानकार हैं। यशस्विनी जी का कहना है कि अगर हिंसा है तो उसे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का कड़ा प्रावधान भी है. बस जरूरत है तो... कदम बढ़ाने की!

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लड़कियों और महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा रोकने के लिए शुरू हुए इस प्रोग्राम में आपका स्वागत है। किसी भी तरह की हिंसा रोकने के लिए समाज में रहने वालों के सोच-विचार बदलना बहुत ज़रूरी है।आज इस बारे में हम बात करेंगे पुरुषों के योगदान को लेकर और जानेंगे कि पुरुष किस तरह महिला कल्याण और सशक्तिकरण को बढ़ावा दे सकते है।पुरुषों की भागीदारी से जेंडर के नाम पर होने वाली हिंसा को कैसे ख़त्म किया जा सकता है। अपने विचार ज़रूर रिकॉर्ड करें, फोन में नंबर 3 दबाकर।

जेंडर हिंसा के खिलाफ चलने वाले इस कार्यक्रम, 'बदलाव का आगाज़', में आज सुनिए प्रियंका जी को, जिनका कहना है कि जब तक एक ट्रांसजेंडर या कहें ख़ुद को महिला और पुरुष के दायरे में ना रखने वाले हर इंसान को इंसान नहीं समझा जाएगा, उनके ख़िलाफ़ समाज में फैली हिंसा और नफ़रत कम नहीं होगी

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