मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

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दोस्तों, यह व्यवस्था बायोमैट्रिक सिस्टम पर आधारित है. इससे राशन कार्ड धारक की पहचान उसकी आंख और हाथ के अंगूठे से होती है. इस योजना से देशभर के 32 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जुड़ चुके हैं. अगर कोई राशन कार्ड धारक दूसरे शहर जा रहा है तो वह 'मेरा राशन ऐप' पर खुद रजिस्टर कर के जानकारी दे सकता है. रजिस्ट्रेशन करने बाद उसे वहीं राशन मिल जाएगा. इसके साथ ही प्रवासी लाभार्थियों को इस ऐप के जरिए पता करना आसान होगा कि उनके आसपास पीडीएस के तहत संचालित राशन की कितनी दुकानें हैं. कौन सी दुकान उनके सबसे ज्यादा करीब है, यह भी आसानी से पता लगाया जा सकता है. दोस्तों, अगर आप कार्ड बनवा चुके हैं तो क्या आपको समय पर राशन मिल रहा है? और क्या आपको एक देश एक राशन कार्ड योजना के बारे में जानकारी थी? अपनी बात हम तक जरूर पहुंचाएं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.