हमारी श्रोता मंजू ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि बच्चों के साथ घर के वस्तु जैसे चम्मच ,ग्लास ,कटोरे आदि के साथ खेल सकते है

हमारी श्रोता उर्मिला ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है बच्चों के साथ खेलते हुए उनसे चीज़ों के बारे पूछ सकते है। जैसे टमाटर के रंग ,पेड़ों का रंग ,दूध का रंग आदि। रंगों के माध्यम से चीज़ों की जानकारी लेते है। ऐसे में रंगों की पहचान बच्चों को होती है और उनसे इस माध्यम से कई सिखाई गई चीज़ों के बारे मालूम कर सकते है

हमारी श्रोता उर्मिला ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि बच्चों के साथ कॉपी ,किताब को इकठ्ठा कर उसके लाइन बनाना ,गत्तों से छत और डिब्बों से मंज़िला और ग्लास से मीनारें बना कर खेल सकते है

हमारी श्रोता पूनम,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि काम करते वक़्त वो अपनी बेटी को अपने पास बैठा कर उससे तरह तरह की जानकारी लेती है। जैसे घर के चीज़ों के बारे में ,उसकी टीवी के कार्यक्रम के बारे और फ्रिज में रखे चीज़ों के बारे में पूछती है

हमारे श्रोता यतेंद्र कुमार ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि घर के सामानों जैसे माचिस की तिल्ली,डिब्बी ,बर्तने आदि के इस्तेमाल से बच्चों के लिए खेलने की व्यवस्था की जा सकती है। इसमें बाहर के सामानों की बिलकुल ज़रूरत नहीं पड़ेगी

हमारी श्रोता सरिता ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि उन्हें कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा

हैदरपुर से तुलसीराम ने खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उन्होंने अपने बच्चों के साथ दुपट्टे से घर बना कर खेल खेला

जेजी कॉलोनी इंद्रपुरी से हमारी श्रोता ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि उन्हें खेले सब संग कार्यक्रम का खेल बहुत अच्छा लगा

हमारी श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है कि उन्हें खेले सब संग के कार्यक्रम बहुत अच्छे लगते हैं

नई सीमापुरी से सुरेना ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि वो अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है। एक दिन उनके बच्चे बैडमिंटन की मांग कर रहे थे। चूँकि उनके पास बैडमिंटन ख़रीदने के पैसे नहीं थे तो उन्होंने घर पर ही पन्ने इकट्ठे कर के उसका बॉल बना दिया और दो डंडे को पट्टे से जोड़ कर उसका बल्ला बना दिया । बल्ला व बॉल को देखकर बच्चा बहुत खुश हुआ और उससे दिनभर खेला। इससे उन्हें बहुत ख़ुशी हुई। उनके पास जब भी पैसे नहीं होते है तो वो अपने बच्चो के लिए पन्नो से कुछ न कुछ ख़िलौने बना कर अपने बच्चों को देती है। इससे बच्चा भी खुश रहता है और सुरेना भी।