खेले सब संग कार्यक्रम के माध्यम से सुनीता कहती हैं कि हमारी तरह बच्चों में भी भावनाये होतीं है। कार्यक्रम के द्वारा से बच्चों में काफी फ़र्क हुआ है और साथ में अभिभावकों को भी बहुत सी जानकारियाँ मिली है। वे चाहती हैं कि खेले सब संग कार्यक्रम ऐसे ही जारी रहे।