झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिले से गोवर्धन कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से यह कहते हैं कि वह एक मजदुर हैं और वह सरकार द्वारा लॉकडाउन के नियमो का पालन भी कर रहे हैं। साथ ही इस लॉकडाउन से उन्हें परेशानी भी हो रही है

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के टाटीझरिया से संगीता कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से ये बताना चाहतीं है, कि महिलायें घर से बहार निकलतीं हैं, तो उन पर दबाव डाला जाता है ,लोग कहते हैं, उसके घर कि बहु है,क्यों घर से निकलतीं है, इस तरह से एक महिला को अपनी इच्छाओं को दबाना पड़ता है।परिवार के मुखिया द्वारा भी किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिलता है, क्यूंकि उन्हें भी दूसरे लोगो की चिंता होती है,कि लोग क्या कहेंगे इस प्रकार लड़कियां अपनी मर्ज़ी से ना कपड़ा पहन सकतीं हैं,ना बहार जा सकतीं है,ऊँची आवाज़ से अगर बोल दें तब भी दबाव डाला जाता है।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के विष्णुगढ़ से अंशु कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से ये बताना चाहतीं है, की बढ़ते कदम पंचायत कि ओर एक मिला ही दूसरी महिला कि समस्याओं को समझ सकती है,किसी कारण से महिला घर के भर काम करने जा रहीं है तो समाज उसे बहुत गलत नज़र से देखती है।किसी जगह अगर पुरुषों की जमघट है और उस जगह से कोई महिला गुजर रही है तो लोग गलत गलत लांछन लगाने लगतें है। इसलिए एक महिला को दूसरी महिला की समस्याओं को समझना होगा

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के टाटीझरिया प्रखंड से रंगीता देवी मोबाइल वाणी के माध्यम से ये बताना चाहतीं है, कि नीलिमा की कहानी सुनने के बाद पता चला कि हम महिलाओं के साथ भी हिंसा होती है,जब कोई महिला कमाने के लिए घर से बाहर निकलतीं तो उसे घर से ही सुनना पड़ता है ,पति के द्वारा मार पिट सहना पड़ता है।अगर महिलाएं घर पर काम कर रही हैं कॉपी पर कुछ लिख रही तो उसे फाड़ दिया जाता है।परन्तु अब महिलायें हिंसा नहीं सहतीं है,महिला ग्रुप के सुरपोर्ट से अपनी बात को मुखिया के पास रख रहीं हैं, और अपने ऊपर होने वाली हिंसा का विरोध कर रहीं हैं

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिले से नेहा देवी मोबाइल वाणी के माध्यम से यह कहती हैं कि नीलिमा की कहानी को सुनने के बाद महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार और हिंसा के बारे में पता चला

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के चेडरा पंचायत से सुनीता देवी मोबाइल वाणी के माध्यम से ये बताना चाहती है,कि नीलिमा एक महिला है,और इस कहानी से ये सिख मिली कि पहले महिलायें घर से बहार नहीं निकलतीं थी,पर अब महिलायें घर से बाहर निकल रहीं हैं,और अपनी समस्याओं को को ला रही है,आगे बढ़ रहीं है,पहले किसी महिला के साथ हिंसा होती थी,तो एक महिला दूसरी महिला से बोलती थी,तो और कहती कि ये गलत कर रही है ,परन्तु हिम्मत नहीं होता थी ,कि उस महिला को समझाएं कि आखिर वो क्यों हिंसा बर्दास्त कर रही है, उस महिला कि मज़बूरी को कोई नहीं समझता था।नीलिमा की कहानी से सिख मिलती है,कि अगर कोई महिला ये बताती है,कि उस के साथ हिंसा हो रही है ,तो दोनों महिला को मिल कर उस समस्या को रोकने का काम करना चाहिए।नीलिमा की कहानी से ये भी सिख मिली है,कि आज हम अपनी बेटियों को आगे बढ़ने से रोक नहीं सकते हैं।लड़कियों को हर चीज़ में आगे बढ़ा रहें हैं,और लड़कियों कि शादी 18 साल की उम्र के बाद ही करनी चाहिए।

झारखंड के हजारीबाग के केरला पंचायत से आशा देवी मोबाईल वाणी के माध्यम से कहना चाहती हैं कि पहले वे एक साधारण महिला थीं ,जब वे आरक्षण से चुन कर आयीं और पंचायत प्रतिनिधि बनीं साथ में वे एक शिक्षिका भी बनी। फिर पंचायत के बैठक में उन्होंने नारीवाद ,लिंग भेद भाव के बारे में जानकारी हासिल कर पाई। आशा देवी का कहना है कि वे दुसरी महिलाओं को भी इसकी जानकारी देते हैं।

हज़ारीबाग़ से हमारे श्रोता मोबाईल वाणी के माध्यम से कहना चाहती हैं कि जब वे पंचायत समिति सदस्य चुन कर आयी तब वे पंचायत के बारे में उनको कुछ पता नहीं था ,किसी से बात करने में भी उनको झिझक होती थी। जब वे समाधान संस्था से जुड़ी और जब उनको प्रशिक्षण मिला तब उनको अपने अधिकार और कर्तव्य के बारे में समझ पाई। उनको लड़का लड़की के सही अधिकारों की सही जानकारी मिली। अब वे अपने साथ साथ बाकी किशोरियों और महिलाओ को जागरूक कर रही हैं।

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उत्तरप्रदेश के विष्णुगढ़ से नेहा देवी मोबाईल वाणी के माध्यम से कहती हैं नीलिमा की कहानी में नीलिमा को उनके पति को उनके शरीर के बारे में इस तरह से बात नहीं करना चाहिए था। इसमें नीलिमा के पति नीलिमा से बोल रहे हैं कि उसका शरीर फैलते जा रहा है वो दो बेटी को जन्म दे चुकी हैं। इसे में नीलिमा को अच्छा नहीं लगा होगा इसलिए उसके पति को ऐसे बात नहीं करना चाहिए था।