झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के इचाक प्रखंड के किर्यातपुर पंचायत के किर्यातपुर गांव से दीपांजलि कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से ये बताना चाहतीं है,उनको नीलिमा की कहानी सुन कर बहुत अच्छा लगा और इस कहानी से वो प्रेरित भी हुई हैं। एसएचजी में जुड़ कर उन्हें ये मालूम पड़ा कि पढ़ लिख कर घर बैठने से कुछ नहीं होगा घर से बहार निकलने पर ही अपनी पहचान बना सकते हैं। एसएचजी महिलाओं के लिए एक सीढ़ी है जहाँ वो अपने अपने दुःख सूख और बातों को रख सकती हैं। महिलायें एकजुट होकर अपने ऊपर हो रही हिंसाओं के विरुद्ध आवाज़ उठा सकती हैं