सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण श्रमिकों के कल्याण की योजना का मसौदा श्रम मंत्रालय की वेबसाइट पर नहीं डालने पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगायी और उसके हलफनामे को ‘पूरी तरह झूठा’ बताया. 1996 में संसद ने बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स (रोजगार नियमन और सेवा स्थिति) कानून बनाया था ताकि मजदूरों की भलाई के लिए कंस्ट्रक्शन सेस लगाया जा सके. यह सेस कंस्ट्रक्शन की लागत का एक फीसदी होता है. पिछले 20 साल से यह सेस वसूला जा रहा है और अब यह रकम बढ़ कर यह 37,400 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. लेकिन खर्च हुए हैं सिर्फ 9500 करोड़ रुपये. गौरतलब है कि 1996 में संसद ने बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स (रोजगार नियमन और सेवा स्थिति) कानून बनाया था ताकि मजदूरों की भलाई के लिए कंस्ट्रक्शन सेस लगाया जा सके. यह सेस कंस्ट्रक्शन की लागत का एक फीसदी होता है. पिछले 20 साल से यह सेस वसूला जा रहा है और अब यह रकम बढ़ कर यह 37,400 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. लेकिन खर्च हुए हैं सिर्फ 9500 करोड़ रुपये. 2020 तक 21 शहरों में समाप्त हो सकता है भूजल भारत अपने इतिहास में सबसे खराब जल संकट का सामना कर रहा है। 2020 तक 21 भारतीय शहरों में भूजल समाप्त हो जाने की संभावना है। इस रिपोर्ट के बाद नीति आयोग ने जल संसाधनों के ‘तत्काल और बेहतर’ प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर डाला है। ऐसे इलाकों में, जहां सालाना उपलब्ध 40 फीसदी से अधिक सतह के पानी का उपयोग किया जाता है, लगभग 600 मिलियन भारतीय पानी को लेकर मुश्किलों से जूझ रहे हैं। दिल्ली, बेंगलुरू, चेन्नई और हैदराबाद समेत 21 भारतीय शहरों में 2020 तक भूजल समाप्त होने की आशंका है, जिससे 100 मिलियन लोग प्रभावित होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक भारत की 40 फीसदी आबादी के पास पीने के पानी की कोई पहुंच नहीं होगी। 14 जून, 2018 को जारी ‘कंपोसिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स’ (सीडब्ल्यूएमआई) रिपोर्ट के अनुसार स्थिति के और खराब होने की आशंका है, क्योंकि पानी की मांग 2050 तक आपूर्ति से अधिक हो जाएगी ।अब जबकि भारतीय शहर जल आपूर्ति के लिए जूझ रहे हैं, आयोग ने ‘तत्काल कार्रवाई’ की मांग की है, क्योंकि पानी की बढ़ती कमी से भारत की खाद्य सुरक्षा भी प्रभावित होगी।राजधानी दिल्ली में हाल काफी बुरा है पानी के अंधाधुंध इस्तेमाल होने से जल संरक्षण नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से पीने के पानी की समस्या साल-दर-साल गंभीर होती जा रही है।