किसी के पास खाने को राशन नहीं है , तो किसी के पास काम नहीं होने के कारण पैसे । सरकार ने लॉकडाउन में मनरेगा में काम की मंजूरी देकर मजदूरों की जिंदगी पटरी पर लाने की कोशिश की। राष्ट्रीय औसत मजदूरी में 20 रुपए की बढ़ोत्तरी के साथ-साथ अपने गाँव पहुंचे प्रवासी मजदूरों को नए जॉब कार्ड बनाकर काम देने की कोशिश की , ताकि उनके सामने रोजी-रोटी का संकट दूर हो। मगर अभी भी बड़ी संख्या में मजदूर काम मिलने की आस लगाये बैठे हैं। प्रवासी मजदूर, दूसरे राज्य को छोड़कर अपने गॉँव की ओर इसलिए आ रहे है , ताकि उन्हें कभी खाने की समस्या ना हो, लेकिन लॉकडाउन के इस समय में इनके सामने सबसे बड़ी समस्या उनके रोज़ी-रोटी को लेकर ही आ रही है। बिहार , झारखंड , उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश के 250 से ज्यादा पंचायत के मुखिया के अनुसार केवल 25-30 % मनरेगा जॉब कार्ड धरी को मनरेगा के तहत काम मिला है और बाकी लोगों के लिए रोज़गार के अवसर तलाशे जा रहे हैं, आखिर क्या है इन गाँवों की ज़मीनी हकीकत , सुनिए हमारी ये खास रिपोर्ट। साथ ही आप भी संविधान के मूल अधिकार ,जीवन के अधिकार को सुरक्षित और सुनिश्चित कीजिए और अपनी राय एवं क्षेत्र की वस्तुस्थिति को ज़रूर बताएं अपने फ़ोन में 3 नम्बर का बटन दबाकर