वह आयोग जो महिलाओं के लिए न्याय को सुनिश्चित बनाता है वही इन दिनों विवादों में घिरा हुआ है. दिल्ली महिला आयोग की हेल्पलाइन 181 में काम करने वाली महिला कर्मचारी इन दिनों विरोध प्रदर्शन पर उतर आईं हैं. दरअसल इस हेल्प लाइन की शुरुआत निर्भया कांड के बाद हुई थी. जिसे पहले आयोग की तरफ से संचालित किया जा रहा था लेकिन अब इसका निजीकरण कर दिया गया है. यानि हेल्पलाइन की बागडोर निजी कंपनी के हाथों में जा रही है. खास बात यह है कि कर्मचारियों को इस संदर्भ में कोई नोटिस नहीं दिया गया है न ही बदलाव की जानकारी दी गई. इसके अलावा उन पर अपने पुराने पद से इस्तीफा देने और फिर दोबारा नियुक्ति लेने का दवाब बनाया जा रहा है. महिला कर्मचारियों का कहना है कि यदि ऐसा होता है तो हमारे पास वह महिला अपराध का वह डाटा भी नहीं रहेगा जो साल 2012 से जमा किया जा रहा था. इसके साथ ही मासिक वेतन, पीएफ आदि की दिक्कतें भी आने वाली हैं. महिला कर्मचारियों की बात अब तक किसी आला अधिकारी ने नहीं सुनी है, इसलिए उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. क्या आपको नहीं लगता कि शासकीय हेल्पलाइन का निजी करण होने से उसकी विश्वसनीयता प्रभावित होगी? क्या महिला कर्मचारियों के साथ ही ऐसा बर्ताव होता है? हमारे साथ इस विषय पर साझा करें अपनी राय.