ओडिशा के पुरी में 75 महिलाएं एक मैंग्रोव जंगल को बचाने की मुहिम चला रही हैं। ये महिलाएं बीते 20 साल से रोज लकड़ी की तस्करी करने वालों से जंगल की रखवाली में जुटी हुई हैं। दरअसल साल 1999 में ओडिशा में एक प्रभावशाली चक्रवात आया था। इसमें सैकड़ों घर, फसलें तबाह हो गईं। लोगों को कई दिन बिना खाने-पानी के रहना पड़ा। उस दौरान पुरी जिले के गुंडाबेला गांव में रहने वाले लोगों को अहसास हुआ कि उनकी जिंदगी पेड़ों यानी इलाके के मैंग्रोव जंगल के कारण ही बची है। हर हाल में जंगल की सुरक्षा करने का संकल्प लिया गया और महिलाओं ने एक समूह बनाया। ये महिलाओं करीब 185 एकड़ में फैले जंगल की दिन में दो बार गश्त लगाती हैं। पेड़ों के बीच से गुजरते वक्त महिलाएं सीटी बजाते और डंडा पटकते हुए गुजरती हैं ताकि कोई पेड़ काटने वाला समय रहते वहां से निकल जाए। ये महिलाएं रोज की गश्त खत्म कर आसपास के गांवों में जाकर जंगल बचाने के फायदे समझाती हैं। महिलाएं बताती हैं कि जंगल से लकड़ी लाने के लिए महीने का एक दिन सुनिश्चित करें। इससे न केवल जंगल बचेगा बल्कि समय की भी बचत होगी। गांवों की महिलाएं पेड़ों की अवैध रूप से कटाई करने वालों को पकड़कर कर पीटाई भी करती हैं, जिससे कि अब पेड़ों की अवैध रूप से कटाई रुक गई है।