बिहार राज्य के पटना जिला से अनुराग कुमार मोबाइल द्वारा कहते कि पर्यावरण को लेकर अभी हमारे देश में पूरी तरह जागरूकता नहीं आई है। प्रदूषण जैसे अहम मुद्दे विकास के नाम पर पीछे छूट गए हैं। ऐसे में ई- कचरे (इलेक्ट्रॉनिक) के बारे में देश में बिलकुल भी जानकारी नहीं है न ही इस दिशा में कोई कदम उठते नजर आ रहे हैं।इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से बाजार भरे पड़े हैं। तकनीक में हो रहे लगातार बदलावों के कारण उपभोक्ता भी नए-नए इलेक्ट्रॉनिकक उत्पादों से घर भर रहे हैं। ऐसे में पुराने उत्पादों को वह कबाड़ में बेच देता है और यहीं से आरंभ होती है ई-कचरे की समस्या। पर्यावरण के खतरे और गंभीर बीमारियों का स्रोत बन रहे इस कचरे का भारत प्रमुख उपभोक्ता है। मोबाइल फोन, लेपटॉप, फैक्स मशीन, फोटो कॉपियर, टेलीविजन और कबाड़ बन चुके कम्प्यूटरों के कचरे भारी तबाही के तौर पर सामने आ रहे हैं।