बिहार राज्य के पटना जिला से अनुराग कुमार मोबाइल द्वारा कहते कि बालश्रम एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है,जो शहरों में,गांव में, एवं चारों और मकड़जाल की तरह बचपन को अपने आगोश में लिए हुए हैं। खेलने-कूदने के दिनों में कोई बच्चा श्रम करने को मजबूर हो जाए तो, इससे बड़ी विडंबना किसी भी समाज के लिए भला और क्या हो सकती है।बालश्रम से परिवारों को आए स्रोतों का केवल एक छोटा सा भाग ही प्राप्त होता है, जिसके लिए गरीब परिवार अपने बच्चों के भविष्य को गर्त में झोंक देते हैं।भारत में बालश्रम के प्रमुख कारणों में निर्धनता, अशिक्षा, बेरोजगारी, कम आय की प्राप्ति है।जहां 40% से अधिक लोग गरीबी से जूझ रहे हैं।ऐसी स्थिति में बच्चे बालश्रम करके अपना और अपने माता-पिता का पेट भरते हैं।उनकी कमाई के बिना उनके परिवार का जीवन स्तर और गिर सकता है।