बिहार राज्य के पटना जिला से अनुराग कुमार मोबाइल वाणी के द्वारा कहते हैं कि अस्सी वर्ष पहले कई बीमारियों के इलाज के लिए कोई कारगर दवा नहीं थी।लेकिन एंटीबायोटिक की खोज जीवाणुओं के संक्रमण से निपटने में जादू की छड़ी की तरह काम करने लगी। वक्त गुजरने के साथ एंटीबायोटिक का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। हाल ही में भारत के संबंध में डब्ल्यूएचओ ने एक अध्ययन कराया है, जिसमें यह बात सामने आयी है कि यहां के आधे से अधिक लोग दवाओं के नकारात्मक पक्ष को दरकिनार करते हैं, और बिना डॉक्टरी परामर्श के एंटीबायोटिक का सेवन करते हैं।आम लोगों की धारणा है, कि एंटीबायोटिक दवाओं से कोई नुकसान नहीं है।इसलिए जरा-सी सर्दी-जुकाम या मामूली दर्द होने पर भी एंटीबायोटिक ले लेते हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन में कहा गया है कि 53 फ़ीसदी भारतीय बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक लेते हैं।एंटीबायोटिक दवाओं के केवल साकारात्मक पक्ष ही नहीं हैं, बल्कि इसके नाकारात्मक पहलू भी हैं।जरूरत से ज्यादा और अनियमित दवा खाने से ड्रग रेजिस्टेंट का खतरा तो है ही।इसके अलावा इंसानों में डायरिया, कमजोरी, मुंह में संक्रमण, पाचन तंत्र में कमजोरी, योनि में संक्रमण होने की खतरा अधिक हो जाता है।