बिहार के प्रवासी मजदूर बीते वर्ष कोरोना महामारी के कारण आई समस्याओं व परेशानी भूले नहीं है। खबर सुनने के लिए ऑडियो क्लिक करें

बिहार में कोरोना संक्रमण बड़ी तेजी से फैल रहा है इस बढ़ती संख्या को लेकर सरकार के साथ-साथ स्वास्थ विभाग के अधिकारी के भी चिंता बढ़ गई है। खबर सुनने के लिए ऑडियो क्लिक करें

बिहार राज्य के जमुई जिला गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता डब्लू पंडित ने भाजपा नेता व समाजसेवी कुमार सुदर्शन सिंह जी से साक्षात्कार लिया जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि कोरोना काल में ऐसी बहुत सी बच्चियाँ हैं, जो शिक्षा से वंचित रह गई। अब जब स्कूल खुल गए हैं ,तब भी लड़कियों के वापस स्कूल आने के प्रतिशत में कमी देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण हैं, अभिभावक का आर्थिक हालात खराब होना। ऐसे में बच्चे घर की सहायता के लिए रोजगार में जुट जाती हैं। कई बार ऐसे परिवार के मनोबल को बढ़ाने और सहायता करने के लिए योजनायें संचालित की जाती हैं।बेटियाँ देश का भविष्य हैं। इन्हें जरूर पढ़ाना चाहिए। कुछ अभिभावक पुरानी सोच को आज भी रखते हैं, और बेटे-बेटी में फर्क करते हैं। यह बहुत ही गलत है,लोगों को अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए।

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से रीता देवी मोबाईल वाणी के माध्यम से सरस्वती कुमारी से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया उनके गाँव में आंगनवाड़ी केंद्र है लेकिन लॉक डाउन के वजह से खुला नहीं है जिसके कारण उन्हें आंगनवाड़ी से कुछ नहीं मिल रहा साथ ही उनके बच्चों का पढ़ाई भी नहीं हो रहा है जिसके कारण काफी परेशानी हो रही है.

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गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत सेवा पंचायत की सरसा से संगीता कुमारी बता रही है कि लॉकडाउन के दौरान वह ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सकी क्योंकि उसके पास पढ़ने के लिए एंड्राइड मोबाइल नहीं था इसके कारण हुआ ऑनलाइन क्लास नहीं कर सकी अनलॉक होने के बाद वह फिर अपनी पढ़ाई शुरू की है

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से पूजा देवी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही है कि आंगनवाड़ी केंद्र जब से बंद हुआ है तब से उनके बच्चे को पौष्टिक आहार नहीं मिल रहा है खासकर गर्भवती माता और धात्री माता को काफी परेशानी हो रही है जो आंगनवाड़ी केंद्रों से चावल दाल सोयाबीन मिलता था वह नहीं मिल रहा है.

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से सुभासा मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि गिद्धौर प्रखंड के अंतर्गत जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र स्कूल दुकानें सभी खुल गए हैं लेकिन आंगनबाड़ी अब तक नहीं खुला है. आंगनवाड़ी नहीं खुलने की वजह से छोटे-छोटे बच्चे जो कि पढ़ते थे उनकी पढ़ाई नहीं हो पा रही है। गर्भवती महिला को जो अनाज मिलता था वो भी नहीं मिल रहा है।

देश में जब कोरोनावायरस बड़ा तो सरकार ने लॉक डाउन की घोषणा की और जब तक लॉकडाउन रहा तब तक बाल विकास परियोजना द्वारा संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों की दशा बिल्कुल ही बंद पड़ा रहा. जिसके कारण पोषक क्षेत्र में रहने वाली गर्भवती माता धात्री माताओं को सरकार द्वारा किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं दी गई.

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