अधिकांश महिलाएं नामांकन की प्रक्रिया को जटिल और समय लेने वाली बताती हैं, और काम की सीमित उपलब्धता भी मनरेगा में महिलाओं के लिए कठिनाई को लगभग छब्बीस प्रतिशत तक बढ़ाती है। गाँव में ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें मनरेगा में काम करना है, लेकिन वे आवेदन करने में असमर्थ हैं क्योंकि वे आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह से नहीं समझती हैं और अगर गाँव की पच्चीस प्रतिशत महिलाएं काम करने में सक्षम नहीं हैं, विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

दिव्यांग गोल्डन कुमार लोन लेना चाहते है और व्यापार करना चाहते है धन्यवाद

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे अपने श्रोताओं की राय

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम जानेंगे एसएचजी यानि की स्वयं सहायता समुह से जुड़ने के क्या फायदे हैं और इससे जुड़ कर कैसे आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं।

आजीविका चलाने के लिए गांव में रहने वाले लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है और इससे भी जब वह अपना आजीविका नहीं चला पता है तो वह गांव छोड़कर पलायन कर जाता है। आज के युवा वर्ग खासकर यह देखने को मिल रहा है कि बहुत अधिक संख्या में गांव छोड़कर दूसरे प्रदेश काम के लिए चला गया है

मनरेगा योजना से वृक्ष लगाकर कैसे लाभ लें जानने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुने

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इसके बरक्स एक और सवल उठता है कि क्या सरकारें चाहती हैं कि वह लोगों का खाने-पीने और पहनने सहित सामान्य जीवन के तौर तरीकों को भी तय करें? या फिर इस व्यवसाय को एक धार्मिक समुदाय को निशाना बनाने के लिए इस तरह के आदेश जारी किये जा रहे हैं। सरकार ने इस आदेश को जारी करते हुए इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि उसके एक आदेश से कितने लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा

बीड़ी मजदूरी में बढ़ोतरी की मांग को लेकर बीड़ी मजदूरों ने किया बैठक