लॉकडाउन के बाद काम शुरू होने पर जहाँ एक तरफ जहाँ कम्पनियों में छँटनी की गतिविधियाँ तेज हो गयी हैं, तो वहीं दूसरी तरफ नए हथकंडे अपनाते हुए वर्तमान में काम कर रहे श्रमिकों की मज़दूरी के रेट में कटौती कर उन्हें काम छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जो श्रमिक अभी कुछ दिन पहले तक पीस रेट में काम करना पसंद कर रहे थे, वही श्रमिक अचानक रेट में हो रही कटौती के कारण या तो काम छोड़ दे रहे हैं या फिर शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि इसपर उनका क्या कहना है जहाँ एक तरफ़ लॉकडाउन के बाद पीस रेट में हो रही लगातार कटौती के कारण श्रमिक परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ़ इसका सीधा फ़ायदा कंपनी मालिक और ठेकेदार उठा रहें हैं। धमकी और शोषण के बोझ तले श्रमिक अपने हालात और परिस्थितियों से मजबूर होकर काम जारी रखते हैं। तो श्रोताओं, हम आपसे जानना चाहते हैं कि आखिर यह रेट तय कौन करता है? क्या कभी आपके पीस रिजेक्ट हुए हैं और पीस रिजेक्ट होने पर क्या उसका पैसा काटा जाता है? अगर आपके पास भी ऐसा कोई अनुभव हो, तो उसे हमारे साथ ज़रूर साझा करें अपने फ़ोन में 3 दबाकर