झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती हैं कि युवाओ में बढ़ती नशाखोरी को रोकने के लिए सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।प्रसाशन नशाखोरी को बंद नहीं करती है बल्कि थोड़ी दबाव होने पर रेड करती है।वही शराब बेचने वाले तथा शराब भट्ठी वाले से कमीशन लेकर प्रसाशन और बढ़ावा दे रही है जिसकारण समुदाय के लोग चाह कर भी बंद नहीं कर पा रहे है।शराब बेचने का कारोबार धड़ल्ले से होने से घर परिवार उजड़ रहा है। वही इनका कहना है कि जो शराब पीते है वह घर पर मार-पीट करते है तथा बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा की व्यवस्था कर पाते है।

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग जिला के इचाक प्रखंड से टेकनारायण प्रसाद कुशवाहा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि आज के युवा दोस्तों के साथ समूह बना कर नशापान करते हैं। नशापान में मदपान,मांस मंदिरा इत्यादि का सेवन कर अपने आप को बरबाद कर देते हैं। और नशा की लत में चोरी- डकैती के मामलों में फंस जाते हैं। हवालात में जाने पर युवक के परिवार वाले खबर को सुनकर बहुत परेशान हो जाते हैं। युवा अपनी मनोइच्क्षा को पूरी करने की चाह में अपने परिवार वालों के बारे में कुछ नहीं सोचते हैं। अतः इस तरह के बच्चे किसी के परिवार में हैं तो अभिभावक को अपने बच्चों पर कड़ी नजर रखने की जरुरत है। यदि अभिभावक अपने बच्चों के साथ दोस्ती वाला रिश्ता रखते हैं तो बच्चे गलत संगत में नहीं पड़ेंगे हैं।

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के दारू प्रखंड से बलराम शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि नशा खोरी एक ऐसी आदि है जो किसी परिवार को तोड़ कर रख देती है। आज के युग में नाबालिक युवक नशा में तब्दील होते जा रहे हैं। आज स्कूल,कॉलेज,महाविद्यालय, पब्लिक प्लेस एवं अन्य जगहों पर तम्बाकू मुक्त लिखा जाता है। लेकिन उन्ही स्थानों पर अत्यधिक नशा करते लोग नजर आते हैं। आज के युग में हर छोटे-बड़े अपराध के पिछे नशा ही सामने आता है। क्योंकि नशा करने के बाद युवाओं का मानसिक संतुलन काफी बिगड़ जाता है और वे अपराध कर जाते हैं। जो युवक नशा का सेवन अधिक करते हैं वे शारीरिक और मानसिक रूप से काफी कमजोर नजर आते हैं। सरकर द्वारा छोटे-बड़े दुकानों में तम्बाकू बेचना कानूनन अपराध माना गया है, फिर भी विक्रेता चोरी छुपे तम्बाकू को बेचते हैं। अतः युवाओं को नशा से दूर रखने के लिए एक बेहतर माहौल बनाने की जरुरत है। साथ ही इससे होने वाले कुप्रभावों के बारे में जागरूक करना चाहिए। प्रशासन द्वारा भी कड़े कानून को सख्ती से लागू करना चाहिए

झारखंड राज्य के बोकारो जिला के पेटरवार प्रखंड से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि युवाओं में बढ़ती नशाखोरी से आस-पास के माहौल में बुरा प्रभाव डालने के साथ-साथ बच्चे भी बड़ों का नक़ल करना प्रारंभ कर देते हैं। जो घर परिवार के साथ-साथ उसके स्वस्थ जीवन पर भी गहरा प्रभाव डालता है। युवाओं के नशेड़ी बनने से वे अपने परिवार और अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना भूल जाते हैं। और कई गलत कार्य को अंजाम दे बैठते हैं। जिसका गहरा असर समाज में भी देखने को मिलता है। युवाओं में नशा की लत के पिछे घर वाले भी जिम्मेदार होते हैं। क्योंकि अभिभावक अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के ऊपर खास ध्यान नहीं देते हैं। जिसकी वजह से युवा धीरे-धीरे नशा के लत में लीन होते जाते हैं। किसी प्रकार से अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले जनता अपने बच्चों को अपने देखरेख में नहीं रख पाते और ना ही बेहतर भविष्य दे पाते हैं। भारत के युवाओं को नशीली चीजों से छुटकारा दिलाने के लिए सबसे पहले दुकानों में बिकने वाले बीड़ी,गुटखा,तम्बाकू तथा अन्य प्रकार के नशीली चोजों को रखने पर प्रतिबन्ध लगाने की जरुरत है।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

झारखंड राज्य के हजारीबाग जिला के बड़कागाँव प्रखंड से रुपेश राज मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि युवाओं के अन्दर नशा की लत बहुत ही तेजी से प्रवेश कर रही है। यह बहुत ही चिंता का विषय है। क्योंकि आज के युवा लगभग 10 साल के होते ही नशा की डोर को पकड़ लेते हैं। जिससे युवा तरह-तरह की बिमारियों से ग्रसीत हो जाते हैं। नतीज़न परिवार वालों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।युवा में नशा की लत के पिछे संस्कारों की कमी भी देखि जाती है। जिसके कारण युवा अपने परिवार को समय ना देकर नशा करने में व्यस्त हो जाते हैं। अतः जिन परिवार में युवा नशा करते हैं तो परिवार के मुखिया उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दें। तभी युवा में नशा का प्रकोप फैलने की जगह कम हो पाएगी

झारखंड राज्य के गोड्डा जिला के पथरगामा प्रखंड से अनुजा देवी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं, कि आज के युवा नशा की ओर लीन होते नजर आते हैं। इसके पिछे माता-पिता ज़िम्मेदार होते हैं क्योंकि आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में माता पिता अपने जिम्मेदारियों से पीछे हो कर अपने कार्य क्षेत्र में व्यस्त हो जाते हैं। नतीजन बच्चे खुद को अकेला महसूस कर दोस्तों की संगत में बिगड़ते जाते हैं, और नशा का सेवन करने लगते हैं। परिवार से दूर रह कर बच्चे सामाजिक माहौल को नहीं पहचान पाते हैं। इससे नई पीढ़ी पूरी तरह से बरबाद होती नजर आती है। अतः अभिभावक को यह सन्देश देती हैं की वे अपने बच्चों को अधिक से अधिक समय दे, बच्चों को अच्छा बुरा का पहचान करवाएँ, साथ ही समाज में कैसे जीना चाहिए इसकी शिक्षा दे। हर परिस्थिति का सामना कैसे करना चाहिए इसकी जानकारी देनी चाहिए।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि नशा एक अभिशाप है, यह एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है। नशे के लिए समाज में शराब, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और धूम्रपान जैसे घातक पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है। इन जहरीले और नशीले पदार्थों के सेवन से युवाओं को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचने के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी लगातार प्रदूषित होता जा रहा है। साथ ही स्वयं और परिवार की सामाजिक स्थिति को भी भारी नुकसान पहुंचता है, इतना ही नहीं नशे के आदी को समाज में हेय की दृष्टि से भी देखा जाता है, जिसके चलते उसकी समाज एवं राष्ट्र के लिये उपयोगिता शून्य हो जाती है। वह नशे से अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है तथा शांतिपूर्ण समाज के लिए अभिशाप बन जाता है। नशा अब एक राष्ट्रीय विकराल समस्या बन गयी है, विशेषकर युवा वर्ग बुरी तरह प्रभावित हो रहे है। युवाओं के लिए नशा फैशन सा बन गया है, जिसके कारण उनका परिवार तो बर्बाद होता ही है साथ ही उनका कैरियर भी चौपट हो रहा है।इसकोे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आजकल नौजवान शराब और धूम्रपान को फैशन और शौक के रूप में अपना लेते हैं।सरकार भी युवाओं के बढ़ते नशाखोरी की ओर ध्यान नहीं देती है। साथ में नशाखोरी परिवारवालों के कारण भी होती है परिवारवाले आज कल युवाओं की ओर ध्यान नहीं देतें है। अतः सरकार और समाज को युवाओं में बढ़ती नशाखोरी को रोकने के लिए जागृत होना चाहिए इससे देश और समाज दोनों का भला होगा।

Transcript Unavailable.