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झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के नावाडीह प्रखंड के पेंक के रालीबेड़ा ग्राम से शीतल किस्कू ,झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि वर्ष 2019 में बीकानेर ,राजस्थान काम करने गए थे। वहाँ तीन माह काम किये थे। ठेकेदार द्वारा एक माह ग्यारह दिन का वेतन अब तक नहीं मिला। इन्हे सहायता चाहिए

दोस्तों, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी की रिपोर्ट कहती है कि मई के दौरान बेरोजगारी दर 12 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि अप्रैल के दौरान यह आंकड़ा 8 फीसदी का था. आंकड़ों को अगर देखें तो इस अवधि में करीब 1 करोड़ लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं. जाहिर है कि हालात सुधरने में काफी वक्त लगने वाला है. साथियों, हमें बताएं कि अगर आपको पहले की तरह काम नहीं मिल पा रहा है तो इसकी क्या वजह है? क्या कंपनी और कारखानों के संचालक ज्यादा नियुक्तियां नहीं करना चाहते? क्या वे पहले की अपेक्षा कम वेतन दे रहे हैं और क्या आपको कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है? क्या काम मांगने के लिए लिखित आवेदन देने के 15 दिन बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ? क्या मनरेगा अधिकारी बारिश या कोविड का बहाना करके काम देने या किए गए काम का भुगतान करने में आनाकानी कर रहे हैं? दोस्तों, अपनी बात हम तक पहुंचाएं ताकि हम उसे उन लोगों तक पहुंचा सकें जो आपकी समस्या का समाधान कर सकते हैं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

मिज़ोरम राज्य से प्रणय हेम्ब्रोम ,झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि करीब 16 प्रवासी श्रमिक मिजोरम में सड़क निर्माण कार्य में काम कर रहे थे। मिजोरम में लॉक डाउन हो गया। प्रवासी श्रमिकों को बस्ती जाने के लिए भी रोक दिया गया है।राशन लेने के लिए भी नहीं जा सकते है। उन्हें खाने पीने की बहुत समस्या हो रही हो। ठेकेदारी में काम किये है लेकिन अभी तक पैसे नहीं मिले है। ठेकेदार कहते है कि लॉक डाउन ख़त्म होने पर ही कुछ हो सकता है। जितना कमाए थे सब ख़त्म हो गया है

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मोबाइल वाणी के साझा मंच से झारखंड के जमशेदपुर से शिव शंकर साह की खास रिपोर्ट.