नमस्कार दोस्तों , मेरा नाम कविता देवी है और मैं लातेहार के चंदवा प्रखंड के रोल गाँव से बोल रही हूँ । आज मैं मोबाइल वानी के माध्यम से बांस के करील का अचार बनाने की बात कर रहा हूं । मैं आपको बताना चाहता हूं , मैं आप सभी को जानकारी देना चाहता हूं , तो आइए जानते हैं कि हम बास्केरिल अचार कैसे बनाते हैं और हमें यह किस समय मिलता है । यह बरसात के मौसम के दौरान पाया जाता है , जो बरसात के मौसम की शुरुआत है , और लंबे समय तक यह पाया जाता है और यह झारखंड में बहुत बड़ी मात्रा में पाया जाता है क्योंकि झारखंड के वन पहाड़ ऊंचे होते हैं । यह झारखंड में पाया जाता है , यह जंगलों में पहाड़ों में उगता है और बांस के पौधों से टूट जाता है , यह ग्रामीण क्षेत्रों में भी पाया जाता है और इसे खाना बहुत स्वादिष्ट होता है । इसे नीचे से खाया जाता है , इसका उपयोग किया जाता है , यह बहुत पौष्टिक होता है , यह पोषण से भरा होता है , इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं , इसमें विटामिन होते हैं , जैसे पोटेशियम , यह बहुत अच्छी मात्रा में पाया जाता है । इसमें कैल्शियम , जिंक , कॉपर , आयरन , विटामिन ई , विटामिन बी6 , विटामिन ए आदि होते हैं । बांस में जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं जो त्वचा से संबंधित बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं । यह श्वसन रोगों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी मदद करता है , इसलिए कुल मिलाकर हम मान सकते हैं कि बांस जो करी है , बांस की करी बहुत फायदेमंद है , यह बाजार और जंगल पाल में भी उपलब्ध है । स्थानीय लोग इसे पहाड़ से तोड़कर लाते हैं , तो आइए जानते हैं कि अब हम इसे अचार कैसे बना सकते हैं । दो से ढाई चम्मच आप सरसों , आधा चम्मच अमचूर पाउडर , लाल मिर्च पाउडर का उपयोग कर सकते हैं , आप एक चम्मच हल्दी पाउडर मिला सकते हैं , आप आधा चम्मच अजवाइन मिला सकते हैं , आप आधा चम्मच नमस मिला सकते हैं । आप अपने स्वाद के अनुसार एक से डेढ़ कप सरसों का तेल , साथ ही पांच से सात लाल मिर्च और एक से डेढ़ चम्मच जीरा मिला सकते हैं । अब वे जानते हैं कि इसे कैसे बनाना है , सबसे पहले , आप बांस के अंकुर को अच्छी तरह से उतार देंगे और इसे साफ पानी में धो लेंगे । इसे बहुत अच्छी तरह से साफ करने के बाद , इसे छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और थोड़ी देर के लिए धूप में रखा जाता है । ताकि इसका पानी घर जाए और यह अपनी नमी खो दे , फिर एक कड़ाई को गर्म करें और एक गर्म कड़ाई में तेल डालें और तेल को गर्म होने दें । इसे स्टफिंग में डालने के बाद कुछ समय के लिए भूनें और फिर इसे ठंडा होने दें और ठंडा होने के बाद इन मसालों को बारीक चूर्ण में पीस लें , उसके बाद जब मसाला आपके लिए तैयार हो जाए , तो यह आपका काम है । यदि दिल का पानी सूख गया है , तो अब बारीक कटे हुए करी के पत्तों को एक बर्तन में डालें और ऊपर से भुना हुआ मसाला डालें । फिर इसमें अमचोर पाउडर डालें , इसमें तेल डालें और इसे अच्छी तरह मिलाएं । इसे चार से पांच दिनों तक धूप में रखना पड़ता है , फिर यह चला जाता है और अच्छी तरह से तैयार हो जाता है और उसके बाद आप इस अचार का उपयोग भोजन में कर सकते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अचार को लंबे समय तक खाया जा सकता है ।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है।सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

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जैसा की आपको पता है की बच्चों के पेट में होने वाले कृमि संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेशभर में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अभियान चलाये जा रहे है जिससे बच्चे स्वस्थ्य और सुरक्षित रहे। हर साल 10 फरवरी को भारत राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाता है।इस दिन सभी आँगनबाड़ी केन्द्रो , सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो पर एवं सभी प्राथमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में 1 से 14 वर्ष तक के बच्चों में कीड़ों के असर को खत्म करने की दवा खिलायी जाती है। देश भर में बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार और कृमि मुक्ति के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए उठाया गया यह एक सराहनीय कदम है। दोस्तों हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी कृमि रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक खास थीम बनाई गयी है.,इस साल यानी 2024 की थीम है “एसटीएच हटाएं: बच्चों के स्वस्थ भविष्य में निवेश करें”। यह थीम देश को कृमि मुक्त कैसे करें,यह समझने में मदद करने के लिए बनायीं गई है। कृमि रोग बच्चों में होने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो बच्चो के मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित करता है। इसलिए आइये हम सब मिलकर एक संकल्प ले और इस अभियान का हिस्सा बन कर देश को कृमि मुक्त बनाये और बच्चों के भविष्य को सुंदर बनाये और सुरक्षित करें। मोबाइल वाणी परिवार की और से आप सभी श्रोताओं को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं

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