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जिला देवघर , प्रखंड देवघर , झारखण्ड से बलबीर राय मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि सरकार ने संविधान में संशोधन कर पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50% का आरक्षण दिया है। यह बहुत ही ख़ुशी की बात है, हर क्षेत्र में महिलाओं का भागीदारी होना चाहिए। लेकिन आए दिन यह देखने को मिलता है कि महिलाओं में शिक्षा का अभाव के कारण कई क्षेत्र में महिलाओं का कार्य उनके पति,देवर या उनके ससुर के द्वारा किया जाता है।और बड़ी ही दुःख की बात है कि वे पंचायतों का काम अपने अनुसार करते हैं वे लोगों के हित में काम नहीं करते हैं,वे सिर्फ सरकारी फण्ड का फ़ायदा उठाने पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। यही वजह है कि पंचायत का विकास होता नजर नहीं आ रहा है और महिला प्रतिनिधि पूरी तरह से अपेक्षित रह जाती हैं। इसका मुख्य वजह है महिलाओं में शिक्षा की कमी होना। अतः पंचायत का भार ऐसी महिलाओं को दिया जाए जो शिक्षित हो,जो जागरूक हो ताकि पंचायत का विकास हो सके।
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जिला देवघर से बलबीर राय मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि आज भी बुजुर्ग माता-पिता उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने पहले थें।यह देखा जाता है कि आज के बच्चे अपने माता-पिता के सम्मान में किसी तरह की कमी नहीं करते हैं।परन्तु जो बच्चे आज के इस दौड़-धुप भरी रोजमर्रा की जिंदगी में अपने अभिभावक,अपने बुजुर्ग की बात नहीं मानते हैं वे गलत राह में चले जाते हैं। जिससे उन्हें आर्थिक,शारीरिक एवं मानशिक छति भी होती है।यह ऐहसास आज के बच्चो में नहीं हुआ है। क्योकि आज के बच्चे बड़े-बुजुर्गों का सम्मान ईश्वर के सम्मान के बराबर में करते हैं।
जिला देवघर से बलबीर राय मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि प्राथमिक शिक्षा एक अनमोल शिक्षा है जो ग्राम में मिलती है और समाज को सुदृढ़ करने का जड़ वहीं से शुरू होता है। इसलिए शिक्षा एक अनमोल रतन है लोगो को इसका पढ़ने और पढ़ाने का जतन करना चाहिए। लेकिन जो शिक्षा विभाग द्वारा छात्रों को मिलती है उसमे कोई गुणवक्ता नहीं रहती है इस विषय पर प्राथमिक शिक्षा अधिकारी से लेकर ऊपरी अधिकारी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। जिस कारण शिक्षा की स्थिति पूरी तरह से ख़राब होती जा रही है
जिला देवघर से बलबीर राय मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि प्राथमिक शिक्षा एक बहुमूल्य शिक्षा है।जो ग्राम पंचायतों में लागु किया जाता है,प्राथमिक शिक्षा जो की विद्यालय से प्राप्त की जाती है।जिसमे बच्चे अपनी जड़ को मजबूत करते हैं। सरकार द्वारा जितनी व्यवस्था प्राथमिक शिक्षा के लिए की गई है यदि उसे शक्ति से जमीनी स्तर पर उतरा जाये छात्रों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। परन्तु आज के दौर में यह देखा जाता है की प्राथमिक शिक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति किया जाता है। वे कहते हैं कि आज स्थिति यह है कि छात्र न तो समय पर स्कूल आते है और ना ही शिक्षक।परिणाम स्वरूप शिक्षा महज व्यापार बनती नजर आ रही है। अत: सरकार शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कोई ठोस पहल करे ताकि प्राथमिक शिक्षा में जो भी खामियां है उसमे सुधार हो सके।यदि शिक्षा विभाग सख्त हो जाएगी तो शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सकेगी।