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झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के चुरचू प्रखंड से मोहम्मद ताजीम अंसारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि प्राथमिक एवं मध्य विधालय में प्रबंधन समिति बनाए गए हैं। परन्तु प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एवं माता समिति बच्चों को सही से किसी भी तरह का लाभ नहीं देते हैं। क्योंकि प्रबंधन समिति के लोगों में काफी लचीला पन देखने को मिल रहा है। प्रबंधन समिति द्वारा ना ही स्कूलों की जाँच की जाती है और ना ही यह देखा जाता है कि क्या शिक्षक स्कूल में उपस्थित हैं या नहीं। चुरचू प्रखंड के कई पंचायतों में बने स्कूलों में जिस आधार पर बच्चों की संख्या है उसके अनुसार शिक्षक की उपस्थिति नहीं है। साथ ही सरकार की ओर से मिलने वाले पोषक आहार बच्चों तक सही समय पर नहीं पहुंच पता है।
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झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ ज़िला के चुरचू प्रखंड से मोहम्मद ताजीम अंसारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि जन वितरण प्रणाली में सरकार जो बदलाव करने का काम किया है, जिससे गरीबों को बहुत दिक्क्त का सामना करना पड़ रहा है। क्योकि अगर एक परिवार में पांच लोग है तो उनमे सिर्फ एक ही व्यक्ति का राशन कार्ड बनाया गया है। बाकी चार लोगो को वंचित रखा गया है। जिस परिवार में 10 लोग हैं उनमे मात्र एक दो को ही लाभ मिल रहा है।ऐसे में गरीब तबके के लोग मारे जा रहे है और राशन से गरीब लोग वंचित होते जा रहे हैं। इसके लिए सरकार द्वारा जो आधार से जोड़कर राशन कार्ड बनाया जा रहा है इस पर उचित निर्णय ले। तभी गरीबों को राहत मिल सकता है।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिले के चुरचू प्रखंड से मोहम्मद ताजीम अंसारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि आज जानकारी के अभाव में बच्चे कुपोषण का शिकार अधिक हो रहे हैं इसका मुख्य कारण सरकार के अलावा आंगनबाड़ी सेविका के द्वारा सही रूप से पोषण का आहार वितरण नहीं किया जाना है। आंगनबाड़ी केंद्र में सहायिका एवं सेविका के द्वारा गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ किशोरियों और बच्चों को कोई जानकारी नहीं दी जाती है। अतः सेविकाओं द्वारा घर-घर में जा कर सरकारी योजनाओ के साथ-साथ स्वास्थ्य सम्बंधित जानकारी सभी के बीच बांटी जाए। ताकि हमारे राज्य से कुपोषण की जड़ को ख़त्म किया जा सके।
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झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के चुरचू प्रखंड से मो० तंज़ीम अंसारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार द्वारा बाल-विवाह रोकने के लिए उठाया गया कदम स्वागत योग्य है। हम सभी को इसका पालन करना चाहिए। आज झारखंड राज्य में बाल विवाह की दर 36 % के आस-पास है। बाल विवाह को रोकने की ज़िम्मेदारी सरकार को मुखिया और समाज के लोगो को देना चाहिए। अगर कोई भी व्यक्ति इनकी बातों को नहीं मानता है, तो उस व्यक्ति के विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार भी मुखिया और समाज को देना चाहिए। अतः हम सभी को अपने -अपने धर्मों से ऊपर उठकर बाल विवाह को रोकने की पहल करनी चाहिए।